नाईट कल्चर बुरा नहीं बस सही तरह से लागू हो, सख्ती और शिथिलता दोनों का अपना महत्व, नशाखोरी और अश्लीलता पर विरोध सर्वाधिक.
पूनम शर्मा
Night Culture in Indore। स्वच्छता को लेकर पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुका इंदौर शहर मिनी मुंबई और स्मार्ट सिटी के नाम से जाना जाता है। मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर अब टीयर टू से टीयर वन शहर की ओर कदम बढ़ा रहा है। इसे एजुकेशन हब, आईटी हब, इंडस्ट्रियल हब, टूरिज्म हब और आने वाले समय में मेडिकल हब के रूप में देखा जाने लगा है।
इसी गति को देखते हुए प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन ने मिलकर इंदौर में भी लंदन, न्यूयार्क, पेरिस और देश की मेट्रो सिटीज दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु की तर्ज पर चरणबद्ध तरीके से नाइट कल्चर शुरू करने का फैसला लिया और लंबी चौड़ी गाइडलाइन बनाते हुए 16 सितंबर को पहले चरण में 11.45 किमी लंबे बीआरटीएस कोरिडोर के दोनों ओर 100-100 मीटर के दायरे में 24 घंटे दुकानें खुली रखने का आदेश जारी कर दिया।
स्टार्टअप्स के एक बड़े कार्यक्रम के मंच से ही सीएम शिवराज ने इसकी घोषणा की थी कि शहर को 24 घंटे खुला रखा जाए, इससे उद्योगों को लाभ होगा। नाईट कल्चर का उद्देश्य था कि यहाँ रात को भी मॉल, रेस्त्रां, बीपीओ व आईटी कम्पनियाँ, अन्य दफ्तर रात भर खुलें, जिससे काम बढ़े और रोज़गार भी, लेकिन फिलहाल दो माह में करीब 100 संसथान ने ही 24 घंटे खुले रखने की मंजूरी ली है जिसमें सभी खाने पीने के छोटे छोटे ठीये और रेस्त्रां ही हैं।
विरोध में उठ रहे सुर सिर्फ नशाखोरी और अश्लीलता पर
देखा जा रहा है कि इंदौर के नाइट कल्चर पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। सत्ताधारी सरकार के मंत्री, विविध सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवी इसका विरोध जताने लगे हैं और आरोप लगाया जा रहा है कि नाइट कल्चर की आड़ में शहर में नशाखोरी बढ़ी है और युवक-युवतियों का व्यवहार शर्मिंदा करने वाला है।
जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ बीजेपी की कोर कमिटी के सभी नेता इस व्यवस्था पर नाराज़गी जता चुके हैं, वहीँ पर्यटन व संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने भी खुलकर इसका विरोध किया। बीजेपी नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पद्मश्री पुरुस्कार प्राप्त जनक पलटा, कांग्रेस नेत्रियों और समाज सेवियों के साथ पुलिस कमिश्नर से मिलकर इसकी शिकायत भी की थी। उसके बाद अब अलग अलग संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।
Night Culture in Indore
हां, यह बहुत हद तक सही है कि इंदौर में नाईट कल्चर की आड़ में बार और पब भी रातभर खुले रहने लगे, युवाओं में नशाखोरी बढ़ी जिससे अपराध और अश्लीलता बढ़ने लगी और इंदौर की संस्कृति पर सवाल उठने लगे। इसलिए नाइट कल्चर का विरोध शुरू होने में भी देर नहीं लगी।
फिलहाल अधिकारी चुप हैं और कोई भी इस सिस्टम की समीक्षा करने के लिए तैयार नहीं है। शहर के बुद्धिजीवियों, सांस्कृतिक मंचों, कुछ नेताओं, आध्यात्मिक गुरुओं की चिंता बेजा नहीं है। देशभर से अध्ययनरत लाखों छात्र जो हॉस्टल, पीजी, रूम में रहकर निरंकुश होकर नशाखोरी कर माँ अहिल्या की इस सांस्कृतिक और पावन नगरी पर बट्टा लगा रहे हैं इन पर नकेल कसना ज़रूरी है।
नाईट कल्चर बुरा नहीं है, बस सख्ती और शिथिलता दोनों के महत्व को समझते हुए इसे सही तरह से लागू किया जाना चाहिए। नाइट कल्चर समय की जरूरत है, यह आजकल की युवा पीढ़ी की डिमांड और पसंद भी बन गया है। यह नौकरी व अर्थव्यवस्था दोनों को बढ़ावा देता है, लेकिन जरूरी है सर्विलांस मजबूत हो और हर सेक्टर खुलें।
इसके लिए जरूरी है कि पहले सुरक्षा को लेकर पुख्ता व्यवस्था की जाए. प्रशासन और पुलिस को लोगों में विश्वास जताने के लिए सुरक्षा को लेकर प्रयास करना चाहिए। इसका प्रचार-प्रसार जरूरी है। सालों से पुलिस बल बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा हुआ है तो वहीं निगम द्वारा मुख्य रोड के हर संस्थान के बाहर “सीसीटीवी लगाने के नियम संबंधी प्रस्ताव को भी शासन के पास भेजा हुआ है।
नाईट कल्चर को समझें…
एम्सटर्डम के पूर्व मेयर मिरिक मिलान ने एक बार कहा था, ‘शहर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में लेट नाइट कल्चर एक मोटर की तरह है।’ दुनिया के जिन शहरों में नाइट लाइफ का कल्चर है, वहां हुई स्टडी बताती हैं कि इससे न सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है, बल्कि रोजगार भी पैदा होता है। लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी, सैन फ्रांसिस्को, एम्सटर्डम, बर्लिन और पेरिस, ये कुछ ऐसे शहर हैं जहां दशकों से नाइट लाइफ का कल्चर है।
लंदन के मेयर ऑफिस की एक रिपोर्ट बताती है कि 2017 में शहर के 16 लाख कामगारों में से एक तिहाई से ज्यादा ऐसे थे, जिन्होंने रात में काम किया था। वहीं, यूके की नाइट टाइम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की एक स्टडी बताती है कि कोरोना से पहले नाइट लाइफ में 112 अरब पाउंड का आर्थिक उत्पादन हुआ था, जो देश की कुल जीडीपी का 5% से ज्यादा था।
इसी तरह, न्यूयॉर्क की 2016 पर एक स्टडी बताती है कि रात के समय 35 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक उत्पादन हुआ था। सरकार ने भी टैक्स से 700 मिलियन डॉलर कमाए थे। इतना ही नहीं, इससे 3 लाख लोगों को रोजगार मिला था। वहीं, सिडनी प्रशासन की रिपोर्ट बताती है कि नाइट लाइफ से हर साल 3.64 अरब डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू जनरेट होता है। जबकि, इससे 32 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है।
भारत में अभी भी नाइट लाइफ का कल्चर कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित है। मुंबई, बेंगलुरु, गोवा और कोलकाता जैसे शहरों में तो नाइट लाइफ का कल्चर सालों से है।
यहां 24 घंटे, सातों दिन दुकानें और बाकी दूसरे प्रतिष्ठान खुले रहते हैं। मुंबई में तो 24 घंटे मॉल, मल्टीप्लेक्स, मरीन ड्राइव, चौपाटी बीच और नरीमन पॉइंट जैसी जगहों पर रातभर चहल-पहल रहती है। गोवा तो लोग जाते ही इसलिए हैं ताकि नाइट लाइफ एंजॉय कर सकें।
छः फीसदी बढ़ी है अर्थव्यवस्था
नाइट लाइफ के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सबसे ज़रूरी, महिलाओं की भूमिका भी बेहद अहम
Night Culture in Indore
पब-बार-ढाबों पर कड़ी निगरानी और सुरक्षा ज़रूरी
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो तो शहर में नशाखोरी और अश्लीलता जैसे मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है। सांसद शंकर लालवानी ने भी पुलिस कमिश्नर मिश्र से बात कर महिला सुरक्षा बढ़ाने को कहा है। पब, बार, ढाबों पर भी कड़ी निगरानी की दरकार की गई है। शहर के प्रबुद्ध वर्ग ने भी साधन संपन्न लोगों से उम्मीद की है कि वे अपने बच्चों के खर्चों पर नजर रखें कि कहीं वे ड्रग के जाल में तो नहीं उलझ रहे।
बजाय आरोप-प्रत्यारोप के यदि नाइट कल्चर को आधुनिकता और विकास के नजरिए से देखा और स्वीकार किया जाए तो इंदौर शहर बहुत जल्द ऊंचाइयों के नए आयामों को छू सकेगा जिससे पूरे इंदौरवासियों को फायदा होगा।