एफआईआर या चार्जशीट में नाम नहीं तब भी चल सकता है मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट  

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत मुकदमा चलाने के लिए नए आरोपियों को तलब कर सकती है। हालांकि आरोपी को तलब करने का आदेश मामलों में दोषी व्यक्तियों को सजा सुनाये जाने से पहले जारी करना होगा। जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने इस विषय पर यह फैसला सुनाया कि क्या इस परिस्थिति में एक निचली अदालत के पास अतिरिक्त आरोपी को समन जारी करने की शक्ति है जब अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला में फैसला कर लिया गया हो।

पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया पर दिशानिर्देश जारी किए। पीठ ने कहा कि यदि ट्रायल कोर्ट को सबूत मिलते हैं या सीआरपीसी की धारा 319 के तहत बरी या सजा पर आदेश पारित करने से पहले मुकदमे में किसी भी चरण में दर्ज सबूतों के आधार पर अपराध करने में किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता के संबंध में आवेदन दायर किया जाता है तो उस स्तर पर कोर्ट अतिरिक्त अभियुक्त को समन करने और उस पर आदेश पारित करने का फैसला करेगी।

जस्टिस एस अब्दुल नजीर बीआर गवई एएस बोपन्ना वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि यदि निचली अदालत संयुक्त सुनवाई का फैसला करती है तो समन किए गए आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बाद ही नए सिरे से सुनवाई शुरू की जाएगी।

यदि निर्णय यह है कि समन किए गए अभियुक्तों पर अलग से मुकदमा चलाया जा सकता है तो अदालत के लिए उन अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमे को जारी रखने और समाप्त करने में कोई बाधा नहीं होगी जिनके साथ कार्यवाही की जा रही थी।

यदि मामले में फैसला सुरक्षित रखने के बाद ट्रायल कोर्ट की ओर से नए अभियुक्तों को समन करने के लिए सीआरपीसी की धारा 319 लागू की जाती है तो अदालत के लिए इन बातों का ध्यान रखना होगा। यदि समन अभियुक्त के मामले में अलग से सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है तो अभियुक्त के खिलाफ नए सिरे से कार्यवाही की जा सकती है।

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।