[responsivevoice_button voice="Hindi Female"] देश किसी एक परिवार की जागीर नहीं, देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है National News Hindi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया। प्रधानमंत्री की स्पीच शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी, जो उनके 90 मिनट के भाषण के दौरान लगातार जारी रही। इस पर पीएम बोले- देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है। नारे बोलने के लिए भी लोग बदलने पड़ रहे हैं। मैं अकेला घंटे भर से बोल रहा हूं, रुका नहीं। उनके अंदर हौसला नहीं है, वो बचने का रास्ता ढूंढ रहे हैं। सरकारी योजनाओं का नाम बदलने को लेकर पीएम ने कहा- किसी कार्यक्रम में अगर नेहरू जी के नाम का उल्लेख नहीं हुआ तो कुछ लोगों के बाल खड़े हो जाते थे। लहू गर्म हो जाता था। मुझे ये समझ नहीं आता कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से डरता क्यों है। क्या शर्मिंदगी है नेहरू सरनेम रखने में। इतना बड़ा महान व्यक्ति आपको और आपके परिवार को मंजूर नहीं है और आप हमारा हिसाब मांगते हो।देश किसी एक परिवार की जागीर नहीं प्रधानमंत्री ने कहा- कुछ लोगों को समझना होगा कि सदियों पुराना देश आम आदमी के पसीने, पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं का देश है। किसी परिवार की जागीर नहीं है। हमने खेल रत्न ध्यानचंद के नाम पर कर दिया। अंडमान के द्वीपों का नाम सुभाष चंद्र बोस, परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर कर दिया। हिमालय की चोटी एवरेस्ट कर दी गई। जितना कीचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा उन्होंने कहा- सदन में जो बात होती है, उसे देश गंभीरता से सुनता है, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों की वाणी न सिर्फ सदन को, बल्कि देश को निराश करने वाली है। ऐसे सदस्यों को यही कहूंगा कि कीचड़ उनके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा। खड़गे पर तंज- जनता आपका खाता बंद कर रही प्रधानमंत्री ने कहा- खड़गे जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी बार-बार मेरे चुनावी क्षेत्र में आते हैं। मोदी जी कलबुर्गी आ जाते हैं। मैं आता हूं शिकायत करने से पहले ये भी देखो कि कर्नाटक में एक करोड़ 70 लाख जनधन अकाउंट खुले हैं। उन्हीं के इलाके में 8 लाख से ज्यादा ऐसे खाते खुले हैं। अब बताइए इतने खाते खुल जाए, लोगों को ताकत मिल जाए और किसी का इतने सालों के बाद खाता बंद हो जाए तो उनकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं। बार-बार उनका दर्द झलकता है। कभी यहां तक कह देते हैं कि एक गरीब को हरा दिया। उन्हीं के इलाके की जनता ने दलित तो जिता दिया। जनता आपका खाता बंद कर रही है और आप रोना यहां रो रहे हो।