Press "Enter" to skip to content

“राजयोग” – इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4

डॉ. देवेंद्र मालवीय :- 9827622204

लगभग पौने तीन लाख मतदाताओं की संख्या के साथ पश्चिम क्षेत्र को घेरे इंदौर की शहरी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 जिसे बीजेपी की अयोध्या भी कहा जाता है, लगभग 35000 सिंधी, 25000 जैन, 18000 प्रजापत, 32000 मुस्लिम जिनमें 2 पार्षद कुल 55% ओबीसी समाज, इनके अलावा ब्राह्मण, मराठी, ठाकुर और अन्य समाज के वोटर भी बड़ी संख्या में है।

1990 में कैलाश विजयवर्गीय ने बीजेपी की जीत का सिलसिला चालू किया जो निरंतर जारी है कैलाश विजयवर्गीय के बाद स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ तीन बार विधायक रहे और उनके बाद उनकी पत्नी श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ तीन बार से विधायक है 30 वर्षों से बीजेपी का अभेद किला बन चुके विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 में इस बार भी कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आता हालांकि भाजपा की अंदरूनी कमजोरी के कारण इस सीट पर परिणाम बदल सकते हैं पर इसके लिए कांग्रेस के सभी गुटों को एक साथ एक जाजम पर आना होगा जो कि वर्तमान में दिख नहीं रहा। हालांकि जनता चंदे के धंधे से परेशान है इसलिए स्पष्ट जनाधार किसे मिलेगा यह कहना कठिन है।

स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़, सुदर्शन गुप्ता, गजेंद्र वर्मा और भी कई नेता वैष्णव स्कूल/वैष्णव कॉलेज के छात्र यहां जुड़े रहे हैं, क्षेत्र क्रमांक 4 के राजनीति में  वैष्णव स्कूल/वैष्णव कॉलेज का महत्वपूर्ण योगदान होता है, या ये कहें कि इस क्षेत्र की राजनीती का केंद्र रहा है।

बीजेपी उम्मीदवार :- मालिनी लक्ष्मण गौड़, शंकर लालवानी, एकलव्य गौड़

मालिनी लक्ष्मण गौड़ :-

 वर्तमान में विधायक है, पति स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ की विरासत को बखूबी संभाल रही है, एक उपचुनाव के साथ तीन बार विधायक रह चुकी मालिनी गौड़ इस दरमियान शहर की महापौर भी रह चुके हैं। महापौर रहते समय शहर के विकास में अभूतपूर्व योगदान दे चुकी है, इन्हीं के कार्यकाल में स्वच्छता में नंबर वन का खिताब इंदौर को मिला था, इसके अलावा अनेक उपलब्धियां इनके खाते में दर्ज है। व्यक्तिगत रूप से सौम्य और व्यवहारिक श्रीमती गौड़ चार नंबर की नब्ज को बहुत अच्छे से समझती है, इस बार भी जीत की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।

इनका माइनस यह है कि परिवार द्वारा क्षेत्र की जनता के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट, दबंगई  कब्जे से स्थानीय जनता और कार्यकर्ताओं में रोष है, परिवारवाद के कारण और एकाधिकार होने से कार्यकर्ताओं में विरोध के सुर है। इस बार वोटर इनके बारे में खुले दिल से कोई जवाब नहीं दे रहे हैं, मन में रखे हुए दर्द को वोट में परिवर्तित होने पर बड़ा नुकसान उठा सकती है।

शंकर लालवानी :-

रिकॉर्ड मतों से लोकसभा सीट जीतने वाले शंकर लालवानी की नजर हमेशा से विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 पर रही है स्वर्गीय लक्ष्मण गॉड की मृत्यु के बाद भी लालवानी इस सीट के लिए दावेदार रहे किंतु वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से टिकट मालिनी गौड़ को मिला था उसके बाद श्रीमती गौड़ इस सीट पर जीत बनाए रखी हैं लालवानी सिंधी वोटरों के कारण इस सीट पर मजबूत दावेदार हैं और मुख्यमंत्री के नजदीकी होने के कारण अंतिम समय में अपना टिकट फाइनल मान रहे हैं।

इनका माइनस यह है कि- सांसद रहते हुए भी शहर को बहुत बड़ी कोई उपलब्धि नहीं दिला पाए, संसदीय लोकसभा चुनाव में सिंधी वोटो को जरूर पा लिया लेकिन विधानसभा के समीकरण अलग होंगे, अपने कुछ लोगों के घेरे में रहकर सिर्फ वही सुनते हैं जो यह सुनना चाहते हैं इसका खामियाजा इन्हें अगले किसी भी चुनाव में देखने को मिलेगा।

एकलव्य स्व.लक्ष्मण सिंह गौड़ :-

परिवार के आधिपत्य वाली सीट के लिए इस बार उम्मीदवार में इनका नाम भी शामिल है, पिता स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ तत्कालीन समय में भाजपा के कद्यावर नेता रहे और शहर के विकास में सतत कार्य करते रहे उनके पुत्र होने के नाते विधानसभा 4 के दावेदारों की सूची में है, युवा है जोश से भरपूर हैं और अपने कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम बनाए हुए हैं।
इनका माइनस यह है कि – अपने पिता की भांति इनमे राजनीतिक गंभीरता नहीं है। अपरिपक्व, अति उत्साही और अति गुस्सैल छवि के कारण खुद का जनाधार नहीं बना पाए। असामाजिक तत्वों के साथ होने से क्षेत्र की जनता में प्रेम कम भय ज्यादा है। कब्जे धमकी और अव्यवहारिकता के चलते अंदरूनी विरोध अत्याधिक है।
इनके अलावा गंगा पांडे, जवाहर मंगवानी जैसे नाम भी दावेदारों की बीजेपी की सूची में शामिल है।
कांग्रे उम्मीदवार - 
अक्षय बम, राजा मंधवानी, गजेंद्र वर्मा 

अक्षय बम :-

युवा शिक्षित स्वच्छ छवि वाले और दिग्विजय सिंह के करीबी होने के कारण अक्षय बम जनता के बीच लोकप्रिय हैं। परिवार समेत अक्षय पिछले लगभग 30 वर्षो से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े हुए है। सालों से समाज के लिए कार्य कर रहे हैं और जनहित के मुद्दों पर जमीनी लड़ाई लड़ते रहे हैं इसलिए एक बड़ा जनाधार इनके साथ है इसका पूरा फायदा इन्हें चुनाव में देखने को मिल सकता है। जैन समुदाय में भी खासी पकड़ रखने वाले अक्षय यहां के 25 हजार वोट साधने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। साथ ही युवा चेहरा होने के कारण इनकी सबसे बड़ी ताकत है इनकी एलुमनाई, वो बच्चे जो लगातार लम्बे समय से इनके साथ जुड़े हुए हैं। हाल ही में छत्रीबाग थाने क्षेत्र में तिरंगे पे पेट्रोल बम फेंकने वाले चर्चित मामले समेत 2 बड़े आन्दोलन अक्षय कर चुके हैं, एकलव्य मामले में भी अक्षय लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं जिसका सीधा प्रभाव चुनावी समीकरण पर पड़ेगा। विधानसभा 4 को लेकर अक्षय की दूरगामी दृष्टि है जिसमें उनके मुद्दे- घर घर नर्मदा मैया, ड्रेनेज, केंद्रीय विद्यालय, स्वयं का मुक्तिधाम, स्पोर्ट्स अकादमी की व्यवस्था, बड़ा सरकारी कॉलेज, हॉकर्स जॉन एवं अन्य सामाजिक कार्य आदि है।

इनका माइनस यह है – चुनावी समय में ही सक्रिय रहते हैं, व्यक्तिगत जिंदगी के चर्चे भी जनता में प्रसारित हो रहे हैं, जनता और कार्यकर्ताओं से कम्युनिकेशन का तरीका सही नहीं होने से नुकसान उठा सकते हैं, इस कारण कई जगह विरोध भी हो रहा है, विरोधियों में इनका दिया हुआ स्टेटमेंट भारी प्रसारित है कि दिग्विजय सिंह को मेरे परिवार से मदद जाती है, इसलिए मेरा टिकट पक्का है।

राजा मंधवानी :
बड़े प्रॉपर्टी व्यापारी सज्जन सिंह वर्मा के नजदीकी जीतू पटवारी की सहानुभूति पाए हुए राजा मंधवानी 35000 सिंधी वोटो की ताकत पर विधानसभा टिकट के प्रबल दावेदार हैं, कांग्रेस के वरिष्ठ और बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजित कर अपनी टीम को सक्रिय और जागरूक कर चुके है, सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहने वाले है धनबल में मजबूत है।
इनका माइनस यह है – जनता में पाकिस्तान से आए हुए सिंधी की छवि है, इस कारण सिंधी समाज में भी सर्वमान्य नहीं है क्योंकि सिंधीयों के वोट कांग्रेस और भाजपा दोनों में बंट जाते हैं एकजई वोट नहीं मिलता, दिग्विजय सिंह गुट में भारी विरोध है, सक्रिय राजनीति में न होने से जनता से नजदीकियां नहीं है, क्षेत्र की गुंडागर्दी को रोकने में कोई कदम नहीं उठा पाए, कोई भी बड़े मुद्दे और जनता के हक की लड़ाई नहीं लड़ पाए।
गजेंद्र वर्मा :
कमलनाथ के पक्के हनुमान है 25 साल से कमलनाथ के लिए कार्य कर रहे हैं, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 के पूर्व निवासी वैष्णव स्कूल और वैष्णव कॉलेज से पढ़े गजेंद्र वर्मा सात बार कुश्ती में शहर का नाम रोशन कर गोल्ड मेडल ला चुके हैं, क्षेत्र में खासी पकड़ रखते हैं। बड़े और बाहुबल में मजबूत परिवार होने से, पहलवानों की भारी टीम होने से क्षेत्र की गुंडागर्दी को जड़ से खत्म करने का दावा करते हैं, हालांकि गलाने की राजनीति के सबसे बड़े चेहरे हैं जिन्हे साथी कांग्रेसियों ने ही कभी आगे आने नहीं दिया, पिछली बार भी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 से दावेदारी कर चुके हैं। छात्र राजनीति से ही जनता की सेवा में लगे हैं, इनका दावा है कि भाजपा के कई नेता मेरे सपोर्ट में काम करेंगे, इनका नाम विधानसभा एक से भी संभावित उम्मीदवारों में है। दबंग और शिक्षित नेता होने से जनता में चंदे से मुक्ति होने की खुशी है।

इनका माइनस यह है – गलाने की राजनीति के शिकार है बरसों मेहनत करने के बाद भी बड़े नेता स्वीकार नहीं करते, गुस्सैल होने का खामियाजा हर जगह भुगतते हैं, कमलनाथ के प्रति इनकी श्रद्धा ही इनकी सबसे बड़ी दुश्मन है। जमीनी मुद्दों को नहीं उठा पाए, कार्यकर्ताओं से सतत संपर्क कमजोर है।

Spread the love
More from Dr. DevendraMore posts in Dr. Devendra »
More from Indore NewsMore posts in Indore News »