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“राजयोग” – इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5

डॉ. देवेंद्र मालवीय

मध्य प्रदेश की सर्वाधिक मतदाताओं की सूची में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 का नाम आता है, यहां तकरीबन पौने चार लाख वोटर विधायक का चुनाव करते हैं. यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है, स्लम एरिया, एमआईजी, पलासिया बंगाली चौराहा क्षेत्र और बाईपास की कई कालोनियां होने से यह मिली जुली विधानसभा है अर्थात सभी प्रकार के वोटर यहां पर हैं । फिर भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र खजराना किसी को विधायक निर्वाचित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, खजराना क्षेत्र अपने आप में एक छोटी विधानसभा के बराबर जनसंख्या लिए हुए हैं।

राजनीतिक इतिहास की बात करें तो सन 1977 में यह सीट कांग्रेस के सुरेश सेठ के पास थी. वह 1977 और 1980 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने तो 1985 में निर्दलीय के तौर पर चुने गए. 1990 में कांग्रेस ने अशोक शुक्ला की जीत के साथ फिर से वापसी की. लेकिन 1993 में बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत ने कांग्रेस के अशोक शुक्ला को हराकर यह सीट जीत ली. उसके बाद 1998 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल ने भंवर सिंह शेखावत को हराकर यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल दी.

लेकिन जब 2003 के चुनाव में बीजेपी ने महेंद्र हार्डिया को इस सीट से विधायक का टिकट दिया तो उन्होंने सत्यनारायण पटेल को बड़े मतों के अंतर से हराकर इस सीट को बीजेपी की झोली में डाल दिया. तब से यह सीट लगातार बीजेपी के पास ही बनी हुई है. महेंद्र हार्डिया यहाँ से 2003, 2008, 2013, 2018  से लगातार 4 बार से विधायक चुने जा चुके है. हालाँकि हाल में हुए महापौर के चुनाव में यहां से कांग्रेस को लीड मिली थी.

बीजेपी में इस बार मुख्य रूप से महेंद्र हार्डिया, गौरव रणदिवे और नानुराम कुमावत का नाम प्रत्याशी के रूप में चल रहा है वहीं कांग्रेस से सत्यनारायण पटेल, स्वप्निल कोठारी और अमन बजाज का नाम चर्चा में है.

महेंद्र हार्डिया –

चार बार से इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं,  शिवराज सिंह सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं संगठन में अपनी अच्छी इमेज रखते हैं कोई बड़ा भ्रष्टाचार का आरोप इन पर नहीं लगा है, सक्रिय रहते हैं,  खजराना जैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा के लिए वोट निकालने की कला सिर्फ बाबा में ही है। क्षेत्र की नस नस को भली भांति जानते है.यह भी सच है की इसके अलावा इस सीट को जीतना दूसरे भाजपा नेता के लिए असंभव की हद्द तक कठिन है.
इनका माइनस यह है कि कार्यकर्ताओं में भारी विरोध है यह विरोध पार्टी लेवल से निकलकर सड़कों पर और आलाकमान तक पहुंच चुका है, तुलसी नगर जैसी कई कॉलोनी के रहवासी खासे नाराज हैं, पार्षदों और कार्यकर्ताओं से जीवंत संपर्क नहीं रखते हैं और ना ही उनकी बातों को तवज्जो देते हैं, ठंडा रवैया होने से युवाओं में कोई खासी पैठ नहीं है। इनके बारे में एक कहावत कही जाती है की सूर्य अस्त और बाबा मस्त मतलब सूर्यास्त के बाद ये किसी की नहीं सुनते हैं । इनके खिलाफ लामबंद नेता एक होटल में बैठक भी कर चुके है।

गौरव रणदिवे –

कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाले गौरव वर्तमान में बीजेपी के नगर अध्यक्ष हैं. युवा चेहरा, ऊंची कद काठी के कारण अपनी अलग शख्सियत रखने वाले गौरव युवाओं की बड़ी फौज पर एकाधिकार बनाए हुए हैं. पिछले दो साल से इस सीट पर संगठन की गतिविधियों में सक्रिय,  लाडली योजना के बहाने अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है। गौरव के समर्थकों ने भी क्षेत्र में जाकर बैठकें लेना शुरू कर दिया है और उनके पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है। महेंद्र हार्डिया के बाद सबसे पहले इन्ही के नाम की चर्चा है.
इनका माइनस है की पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं नेताओं में कांग्रेस की छवि के कारण स्वीकार नहीं है गौरव में गर्व अत्यधिक है. अत्यधिक विश्वास अति आत्मविश्वास और अति उत्साहित होने से अपने ही लोगों को दुश्मन बना बैठते हैं.गौरव रणदिवे जरूर है लेकिन विधानसभा क्षेत्र पांच के रण जीतना इनके लिए आसान नहीं होगा।

नानुराम कुमावत –

भाजपा पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रदेश उपाध्यक्ष नानुराम कुमावत अपनी एक संस्था पुरुषार्थ भी संचालित करते हैं जिसके जरिए समाज सेवा, बुजुर्गों का सम्मान ,आपातकाल सेवा में सक्रिय रहते हैं। युवाओं की अच्छी खासी टीम लिए कुमावत इस बार अचानक से विधानसभा 5 के उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं । हिंदूवादी नेता होने से संगठन में अपनी खासी पेठ रखते है.
इनका माइनस है की इस क्षेत्र में अचानक सक्रिय हुए है कोई विशेष जनाधार नहीं रखते है. कार्यकर्ताओं में कोई विशेष पकड़ नहीं रखते। संगठन, बड़े नेतृत्व में स्वीकार नहीं है।

सतनारायण पटेल –

उप सरपंच से लेकर विभिन्न कार्यकारिणियों में रहे पटेल विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 और देपालपुर से विधायक रह चुके हैं,  राजनीतिक परिवार से आते हैं उनके पिता रामेश्वर पटेल मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं, पटेल अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के पद पर हैं.  इंदौर में अपने कार्यकर्ताओं की लंबी फौज लिए पटेल आर्थिक रूप से मजबूत और व्यवहारिक व्यक्तित्व के धनी है। सतनारायण पटेल विधानसभा 5 से मामूली अंतर से चुनाव हरने के बाद भी 5 वर्षों से सतत सक्रिय हैं. इस बार कांग्रेस की मजबूत दावेदार हैं यदि पार्टी ने टिकट देती है तो जीत पा सकते हैं।  मृदु भाषी और कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित पटेल अपने लोगों को मीठी मुस्कान से बांधे रखते हैं । विपरीत परिस्थिति में भी कांग्रेस का दामन थामे रखे हैं, सिंधिया खेमे के होने के बावजूद अपनी निष्ठा कांग्रेस में ही रखी और सिंधिया के साथ भाजपा में नहीं गए, भोले भाले व्यक्तित्व वाले सत्तू पटेल को लोग लड्डू गोपाल भी कहते हैं, इनका टिकट नहीं मिलने से कुल चार सीट डिस्टर्ब हो सकती हैं जिसमे देपालपुर, महू, राऊ और पांच नंबर शामिल है.
इनका माइनस है की देपालपुर और विधानसभा क्षेत्र 5 से विधायक का चुनाव हार चुके हैं लोकसभा का चुनाव भी सुमित्रा महाजन से हार चुके हैं पार्टी गाइडलाइन में फिट नहीं बैठ रहे.

स्वप्निल कोठारी –

विख्यात शिक्षाविद, प्रखर वक्ता और युवा चांसलर स्वप्निल कोठारी प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष है, बड़े व्यापारी और नए-नए नेता बने स्वप्निल कोठारी प्रियंका गांधी के खास और वर्तमान में परिस्थितिवश कमलनाथ के दास की भूमिका में है, मेहनती है व्यापार और संगठन की समझ रखते हैं. जैन समुदाय से आते हैं, पेशे से मूलतः शिक्षक कोठारी अपने रणनीतिक कौशल और प्रबंधन क्षमता के लिए युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ सहित कई देशों में व्याख्यान हेतु आमंत्रित हो चुके है, युवाओं के लाइफ कोच भी हैं. अपने शैक्षणिक संस्थानों से निकले छात्रों की टीम के कारण जनाधार लिए हुए है.
इनका माइनस है की कार्यकर्ताओं से तालमेल बराबर नहीं है, नए-नए नेता बने हैं शिक्षा माफिया की भूमिका में है शिक्षा से जुड़ी गई अनियमितताओं में प्रमुख हैं। मौका परस्त की छवि बनी हुई है, आश्वासन देकर अपना काम निकालने की कला के कारण साथ के लोगों में भी छवि धूमिल हैं, जनता के कोई बड़े मुद्दे नहीं उठा पाए.

अमन बजाज –

युवा नेतृत्व है कार्य करने का जज्बा है कार्यकर्ताओं के बीच में अच्छी पकड़ रखते हैं कांग्रेस के युवा विंग के लोकसभा प्रभारी भी रह चुके हैं, प्रदेश कांग्रेस के महासचिव हैं । सज्जन वर्मा के नाव पर सवार है।
इनका माइनस है की बड़े नेताओं को स्वीकार नहीं है सिर्फ सज्जन सिंह वर्मा का हाथ पकड़े हुए हैं जिसके कारण अन्य गुट स्वीकार नहीं करते जनाधार नहीं है टिकट मिलने पर भी विनिंग कैंडिडेट साबित होना कठिन होगा।

शेख अलीम –

अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष और लंबे समय से नेता प्रतिपक्ष रहे शेख अलीम इस बार विधानसभा टिकट के लिए पूरी दमदारी से दावेदारी कर रहे हैं। विधानसभा नंबर 5 से सर्वाधिक जीतने वाले मुस्लिम वर्ग के पार्षद रहे हैं। अलीम अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर काफी सक्रिय रहते हैं इस वजह से कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय चेहरा है। हमेशा से सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते रहे हैं। इनकी पत्नी भी नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं। विधानसभा में खजराना जैसे बड़े मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के आधार पर टिकट की मांग कर रहे हैं।

इनका माइनस ये है कि मुस्लिम वर्ग है, मुस्लिम वर्ग का कैंडिडेट होने से हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण संभावना है। हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण के मुद्दे पर मेयर द्वारा बुलाई गई बैठक अलीम भिड़ गए थे नौबत हाथापाई तक पहुंच  गई थी। इंदौर की जनता ने अभी तक किसी मुस्लिम वर्ग को विधायक बनाने पर समर्थन नहीं दिया और न ही अब तक कोई मुस्लिम विधायक बना है।

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