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चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा, अब नन्हें शावक पर टिका भारत में चीतों का भविष्य

चीता प्रोजेक्ट को भारत में एक साल पूरा हो गया है. भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना सफल होती दिख रही है. हालांकि कूनो नेशनल पार्क में कभी खुशी कभी गम जैसा माहौल रहा. कूनो में 20 में से 9 जीतों की मौत हो चुकी है, वहीं 4 शावकों ने भारत की जमीन पर जन्म लिया था.

MP Cheetah Project। कूनो नेशनल पार्क में आज रविवार को खुशियों का दौर है. कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधक एवं वाणी कर्मियों द्वारा आज चीता प्रोजेक्ट को एक वर्ष होने पर खुशियां और उत्साह मनाया जा रहा है. कुछ पल दुखद के भी रहे तो कुछ पल खुशियों से भर भी रहे. जहां कूनो नेशनल पार्क पर चीतों की मॉनिटरिंग पर सवाल उठाते रहे तो कहीं ना कहीं यह भी एक सुखद खबर मिलती रही की जो चीते जीवित है अब उनकी देखरेख सही तरीके से हो रही है.

भारत में चार शावकों का जन्म: भारत के कूनो नेशनल पार्क में जन्मे चार शवाकों की तो इनमें से तीन की मौत हो चुकी है. लेकिन जो एक शावक बचा है वह यहां के माहौल में जलवायु में घुल मिल चुका है. वह शावक हस्त पुष्ट और खेलते नजर आ रहा है. 6 महीने के इस शावक के बारे में यह बताया जा रहा है कि यह भारत की ही जलवायु में जन्मा है, इस वजह से यह अपने आप को इस वातावरण में ढाल चुका है और अब कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता और जो नर चीते हैं वह भी स्वस्थ और भागते दौड़ते नजर आ रहे हैं.

कूनों में अब तक 9 चीतों की मौत: चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा होने पर लग रहा है कि भारत का यह चिता प्रोजेक्ट सफल हो चुका है. क्योंकि जिन चीतों की मौतें हुई वह चीते कहीं ना कहीं कोई ना कोई बीमारी से ग्रसित थे. लेकिन अब जो बड़े बाड़े में बंद नर मादा चीते हैं उनका स्वास्थ्य परीक्षण हो चुका है और यह सारे चीते अब स्वस्थ हैं. चीते शिकार करके भी अपना पेट भर रहे हैं. कूनो नेशनल पार्क में नौ चीतों की मौत हो चुकी है. इसमें छह चीते और तीन शावक शामिल हैं. अब कूनो नेशनल पार्क में 14 चीते और एक शावक बचा है.

17 सितंबर 2022 को भारत आए थे चीते: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ा था. छह महीने बाद यहां पहले चीते की मौत हुई. दरअसल, 27 मार्च को साशा नाम की एक नामीबियाई मादा चीता की मृत्यु हो गई थी. मृत्यु का कारण वन विभाग के अनुसार, नामीबिया से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ी गई मादा चीता साशा के गुर्दों में संक्रमण होने की वजह से मृत्यु हुई थी. कहा गया कि इस मादा चीता के गुर्दों में संक्रमण भारत आने के पहले से ही था.

फिर उदय- 23 अप्रैल की सुबह अचानक उदय चीते का स्वास्थ्य खराब हुआ और शाम चार बजे मौत हो गई. मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार कार्डियोपलमोनरी फेल होने की वजह से चीते की मौत हुई. वह सुबह से ही बीमार दिखाई दे रहा था, दोपहर में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. चीता उदय में हार्ट और लंग्स की समस्या सामने आई थी.

दक्षा: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में घायल मादा चीता दक्षा की 9 मई को मृत्यु हो गई थी. चीता दक्षा को मॉनिटरिंग दल द्वारा नौ मई को पौने ग्यारह बजे घायल अवस्था में पाया गया था. पशु चिकित्सकों द्वारा इसका उपचार भी किया गया. दक्षा के शरीर पर पाए गए घाव प्रथम दृष्टया मेटिंग के दौरान मेल से हिंसक इन्टरेक्शन होना पाया गया.

ज्वाला के तीन शावक की मौत: 23 मई को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों की मृत्यु हो गई थी. प्रथम दृष्टया शावक की मृत्यु का कारण कमजोरी से होना प्रतीत हुआ. मॉनिटरिंग टीम ने सुबह ज्वाला को अपने शावकों के साथ एक जगह बैठा पाया गया. कुछ समय बाद मादा चीता अपने शावकों के साथ चल कर जाने लगी, टीम ने तीन शावकों को उसके साथ जाते हुए देखा. चौथा शावक अपने स्थान पर ही लेटा रहा. मॉनिटरिंग टीम द्वारा कुछ समय रुकने के बाद चौथे शावक का करीब से निरीक्षण किया गया. यह शावक उठने में असमर्थ जमीन पर पड़ा मिला और टीम को देख कर अपना सिर उठाने का प्रयास भी किया.

तत्काल पशु चिकित्सक दल को सूचना दी गई. 23 मई को एक शावक की मृत्यु के बाद शेष तीन शावक और मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्य-प्राणी चिकित्सकों और मॉनीटरिंग टीम द्वारा दिनभर निगरानी की गई. दिन में चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया. दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष तीन शावकों की स्थिति सामान्य नहीं हुई. तीनों शावक की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्य-प्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर उपचार किया, लेकिन दो शावक की स्थिति अधिक खराब होने से बचाया नहीं जा सका. ऐसे में तीन शावकों की मौत हो गयी.

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