श्रृंखला 1 – “समरथ को नहीं दोष गोसाईं
अख़बार ने किये सवालों में कलेक्टर और आईजी को भी लूप में रखा पर दासोत ने नहीं दिया कोई जबाव
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डॉ. देवेंद्र मालवीय
Indore Real State News. तुलसीदास जी की एक चौपाई है “समरथ को नहीं दोष गोसाईं, रवि सुरसरि पावक की नाईं।” अर्थात सामर्थ्यवान व्यक्ति (साधन सम्पन्न, बलशाली, प्रभावशाली) का आचरण सुनिश्चित सामाजिक मर्यादाओं के विपरीत होने पर भी उसे नियम विरुद्ध आचरण का दोषी नहीं माना जाता है। यह चौपाई इंदौर के बड़े बिल्डर संजय दासोत पर अक्षरशः लागू होती है क्यूंकि ये इतने प्रभावशाली हैं कि किसी भी परंपरा या नियम को माने या न माने इसके लिए स्वतंत्र हैं इन पर किसी का कोई जोर नहीं चलता है।
ये कोई भी गलत काम करें प्रशासन इनकी हां में हां मिलाता है, विरोध नहीं करता है। कई मीडिया ग्रुप से जुड़े होने और उनके द्वारा लगाए जाने वाले मेलों में पार्टिसिपेट करने एवं लाखों रुपयों के खर्चे के कारण बड़े मीडिया समूह इनके काले चिट्ठों को नहीं खोलते, दासोत के एजेंट इन आवास मेलों में भी अपने रेरा पंजीकृत योजनाओं की आड़ में प्री लॉन्चिंग योजनाओं को बेचने से नहीं हटते। इनकी कई कम्पनियां/फर्म है जिनमें से एक है सॉलिटेयर रियल्टी।
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सॉलिटेयर के कई मायनों में अलग अलग अर्थ है पर यह एक खेल का नाम भी है “सॉलिटेयर एक खिलाड़ी द्वारा खेले जाने वाला ताश का खेल है। इसे आप कंप्यूटर पर या फिर ताश के पत्तों के साथ भी खेल सकते हैं। कई बार इस खेल को खत्म कर पाना असंभव होता है इसीलिए इस खेल का दूसरा नाम पेशेंस यानि की “सब्र” भी रखा गया है, इस खेल को जीतना आसान नहीं है।
रेरा की वेबसाइट में प्रमोटर्स डिटेल्स के मुताबिक सॉलिटेयर रियल्टी फर्म के दो पार्टनर है अमन दासोत और संजय दासोत, दासोत परिवार इंदौर में सैकड़ों एकड़ जमीन का मालिक है. संजय दासोत की गिनती प्रदेश के बड़े बिल्डर्स में होती है पूर्व में साकार रियल्टी फर्म के नाम से कई कॉलोनियों को लॉंच कर चुके हैं, हालांकि इनके प्रोजेक्ट के बारे में जनता द्वारा कहा जाता है कि “इनके प्रोजेक्ट शुरू तो जल्दी होते है पर ख़तम नहीं होते” वर्षो वर्ष निवेशक फंसे ही रह जाते हैं. जनता के दावे पर जब हमने खोज की तो पाया कि वाकई लोगों को दिखाए गए सपने “साकार” नहीं हो रहे है. साकार रियल्टी फर्म पार्टनरशिप में संजय दासोत, राजेश कुमार गोयल, गोपाल दास गोयल, देवेंद्र कुमार दासोत का नाम भी रेरा की वेबसाइट पर मिला।
लोगों के सपनों को “साकार” नहीं कर पा रहे दासोत अब “सॉलिटेयर” के नाम से “खेल” कर रहे है. यहाँ भी निवेशकों को कितना “सब्र” रखना पड़ेगा इसका जवाब मिलना मुश्किल है.
सॉलिटेयर रियल्टी के दो प्रोजेक्ट सिम्बा सिटी और शिव नगरी बिंदास खुलेआम प्री लॉन्चिंग में बेचे जा रहे हैं जब इस मामले में दैनिक सदभावना पाती अखबार ने अमन दासोत और संजय दासोत से सवाल किये जिसके लूप में कलेक्टर और आईजी इंदौर को भी रखा तब भी दासोत ने जवाब देना उचित नहीं समझा क्योंकि “समरथ को नहीं दोष गोसाईं, रवि सुरसरि पावक की नाईं।”
हम कड़ी दर कड़ी पाठकों के सामने वो सवाल ला रहे हैं और उन सवालों के पीछे हमारे द्वारा की गई इन्वेस्टिगेशन एवं रेरा के नियमों को भी रख रहे हैं. आगे देखना यह होगा कि शासन इस मामले को कितना गंभीरता से लेगा या तुलसीदास जी की कही चौपाई को यथार्थ रखेगा।
दिनांक 26-10-2023 को किये गए सवालों में से 2 सवाल यह है –
सवाल नंबर 1. आपके सॉलिटेयर रियल्टी द्वारा इंदौर में प्रस्तावित शिवनगरी एवं सिम्बा सिटी प्रोजेक्ट कितने एकड़ के प्रोजेक्ट है ?
इस फर्म से जुड़े एजेंटों और हमारी पड़ताल के अनुसार-
शिव नगरी – उज्जैन रोड लवकुश चौराहे से 12 किलोमीटर दूर स्थित शिवनगरी 700 एकड़ जमीन जिसका लागत अनुमानित मूल्य एक हजार करोड़ रूपए है. यहाँ की सड़कें अत्यधिक बड़ी व चौड़ी होंगी, 40 बीघा में 4 ज्योतिर्लिंग मंदिरों का निर्माण होगा, बड़ी बड़ी कंपनियों डी मार्ट आदि का आना होगा, ऐसे कई सपनों को रेरा अनुमति पूर्व ही इसपर प्लोटिंग करके कई गुना मूल्य लगभग 2300 स्क्वायर फीट के मान से बेच कर प्री लांच के खेल में ही कई हजारों करोड़ों की कालेधन की उगाई की जा चुकी है. एजेंट के दावे अनुसार 3 महीने में ही 5000 प्लाट सेल किये जा चुके है.
सिम्बा सिटी – बाईपास से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर सिम्बा सिटी 100 एकड़ का प्रोजेक्ट है जिसका अनुमानित लागत मूल्य चार सो करोड़ रूपए है.
आइफ़िल सिटी – कनाडिया रोड पर 150 एकड़ का प्रोजेक्ट है जिसका अनुमानित लागत मूल्य पांच सो करोड़ रूपए है इसके लिए 7 वंडर्स आदि के सपने दिखा कर काली कमाई की उगाही की जा रही है.
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यानि कि कुल जमीन 1250 एकड़ के लगभग, कुल अनुमानित लागत मूल्य दो हजार करोड़ है. इसपर प्लोटिंग करके कई गुना मूल्य लगभग 2300 स्क्वायर फीट के मान से बेच कर प्री लांच का खेल खेला जा रहा है. अभी कोई ग्राहक शिकायत न कर सके इसलिए उसको 12% रिटर्न की गारंटी दी जा रही है.
रेरा के अधिनियम 2016 की धारा 3 के अनुसार कोई भी प्रमोटर रेरा में रजिस्टर्ड कराये बिना कोई भी योजना को नहीं बेच सकता, नियमानुसार हर प्रोजेक्ट की जानकारी रेरा को देना आवश्यक है. (इसके उल्लंघन पर धारा 59 के मुताबिक परियोजना की लागत का 10% तक जुर्माना, रेरा यदि नियमानुसार पेनल्टी की कार्यवाही करें तो प्रोजेक्ट कॉस्ट के हिसाब से 200 करोड़ से अधिक की वसूली की जा सकती है.)
सवाल नंबर 2. सॉलिटेयर रियल्टी द्वारा इंदौर में प्रस्तावित शिवनगरी एवं सिम्बा सिटी प्रोजेक्ट के टीएंडसीपी नंबर (अप्रूवल) क्या है ?
हमारी पड़ताल – इस फर्म से जुड़े एजेंटों के अनुसार अभी टीएंडसीपी नंबर नहीं आया है, सूत्रों के अनुसार इन बड़े जमीन के हिस्सों की रजिस्ट्री भी नहीं हुई है हमने सच्चाई जानने के लिए ही सवाल किये थे ताकि सच सामने आये परन्तु जवाब नहीं दिया गया.
रेरा के अधिनियम 2016 की धारा 2 (घ) के अनुसार टीएंडसीपी नंबर मिलने के उपरान्त ही रेरा में आवेदन लगाया जा सकता है.
संजय दासोत जानते हैं कि वो नियमानुसार कार्य नहीं कर रहे है और गलत जवाब दे नहीं सकते इसलिए हमारे सवालों से बच रहे हैं.