अयोध्या आंखों देखी पार्ट 1 : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से काफी पहले 1986 में एक समाधि के नीचे भी रखा है “टाइम कैप्सूल”

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डॉ. देवेंद्र मालवीय

Ram Mandir Time Capsule। अयोध्या में निर्मित राम मंदिर के शिलान्यास के समय गर्भग्रह में जमीन से 200 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखा गया था जिसमें आज के भारत की कहानी से लेकर इसके ऐतिहासिक महत्व की सांस्कृतिक, राजनीतिक और अन्य सामयिक जानकारियां हैं। ताम्रपत्र पर बने इस टाइम कैप्सूल में मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखकर गर्भ ग्रह के नीचे दबाया गया था। ये टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा।

Ram Mandir Time Capsule

लेकिन जानने योग्य बात ये है कि अयोध्या क्षेत्र में सिर्फ राम मंदिर ही नहीं है जिसके नीचे टाइम कैप्सूल रखा गया हो। यहां से 20 किलोमीटर दूर नंदीग्राम में भी राम मंदिर के निर्माण से काफी पहले 1986 में एक समाधि के नीचे टाइम कैप्सूल रखा गया है। टाइम कैप्सूल वाली यह समाधि ऐतिहासिक जिस नंदीग्राम में बनी हुई है वह नंदीग्राम, राम के भाई भरत की तपोस्थली है। यहां उन्होंने 14 साल खड़ाऊ रखकर शासन चलाया था। यहीं भरत मिलाप भी हुआ था।

नंदीग्राम में विक्रमादित्य के जमाने का बनवाया मंदिर भी है तो वह ऐतिहासिक जगह भी जहां लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेकर जा रहे हनुमान को असुर समझ कर भरत ने बाण का संधान कर नीचे गिराया था। इसी नंदीग्राम परिसर में परमहंस स्वामी राम मंगलदास महाराज की भी एक पुष्प समाधि है। इसी समाधि के अंदर भावी पीढ़ियों की जानकारी हेतु एल्युमिनियम से बने कल पात्र में परमहंस जी की रचनाएं, उनके फोटो सिक्के और दूसरे दस्तावेज रखे गए हैं। अयोध्या के सबसे प्रतिष्ठित स्वामी राम मंगल दास जी 1893 में जन्मे थे और उन्होंने 1985 में महाप्रयाण किया।

टाइम कैप्सूल का इतिहास ?

अयोध्या में राम मंदिर का यह पहला मामला नहीं है जब टाइम कैप्सूल को नीचे दबाया गया हो। भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1973 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल लाल किले के 32 फीट नीचे डलवाया था जिसे कालपत्र का नाम दिया गया था।

क्या है टाइम कैप्सूल

टाइम कैप्सूल एक ऐसा मॉडर्न तरीका है जिसमें किसी एक विषय से जुड़ी लगभग सारी जानकारी संजोई जाती है। इसे एक ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो ताकि सदियों बाद भी उस विषय को लेकर किसी तरह की जानकारी जुटाने में परेशानी ना हो। इसमें बंद जानकारी में आसानी से फेरबदल नहीं हो सकता।

कैसा होता है ये

टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है जो किसी भी शेप में हो सकता है और इसमें हर तरह के मौसम को सहन करने की क्षमता होती है। क्यूंकि आमतौर पर इसे एलुमिनियम, स्टील या तांबे से बनाया जाता है ताकि मिट्टी में दबा होने के बाद भी ये ज्यादा से ज्यादा वक्त तक टिका रहे। इसके भीतर जो इंफॉर्मेशन होती है, वो एसिड-फ्री पेपर पर रहती है जिससे हजारों सालों तक वो वैसी ही बनी रहे।

Ram Mandir Ayodhya

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