आज इंदौर उत्थान अभियान के प्रतिनिधिमंडल ने इंदौर के जिलाधीश श्री आशीष सिंह से भेंट कर नवलखा से लेकर MR-9 तक प्रस्तावित प्रत्येक चौराहे पर फ्लाईओवर निर्माण से उत्पन्न होने वाली संभावित कठिनाइयों से उन्हें अवगत कराया।
बैठक में जिलाधीश महोदय ने अभियान द्वारा प्रस्तुत सुझावों पर गंभीरता से चर्चा की और आश्वासन दिया कि अगले 8–10 दिनों में सभी संबंधित अधिकारियों को आमंत्रित कर एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रस्तुत पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के आधार पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जाएगा।
अभियान के अध्यक्ष अजीत सिंह नारंग ने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा ड्रोन व स्थल सर्वेक्षण के माध्यम से पूरे मार्ग का सूक्ष्म अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया कि अलग-अलग फ्लाईओवरों के स्थान पर यदि नवलखा से MR-9 तक एक सतत एलिवेटेड कॉरिडोर और तीन प्रमुख चौराहों — नवलखा, शिवाजी प्रतिमा और एलआईजी — पर एलिवेटेड रोटरी बनाई जाए, तो न केवल सभी चौराहे सिग्नल फ्री होंगे, बल्कि यातायात भी अगले 40–50 वर्षों तक व्यवस्थित रहेगा। साथ ही, सड़क पर प्रदूषण और समय की बर्बादी में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
अशोक बड़जात्या ने कहा कि इस मॉडल से वाहन तेज गति से निर्बाध गुजर सकेंगे, जिससे नागरिकों का समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।
श्री निवास कुटुंबले ने बताया कि यदि अलग-अलग फ्लाईओवर बनाए जाते हैं, तो सतही सड़क की चौड़ाई काफी प्रभावित होगी, जबकि एकीकृत एलिवेटेड कॉरिडोर से ऊपर और नीचे मिलाकर लगभग 133 प्रतिशत अधिक उपयोगी यातायात क्षेत्र उपलब्ध हो सकेगा।
गौतम कोठारी ने कहा कि इस वैकल्पिक योजना से शहर के सौंदर्य और हरियाली को भी बढ़ावा मिलेगा।
अशोक कोठारी और महेश गुप्ता ने कहा कि आगामी वर्षों में सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजन को देखते हुए इस पर तत्काल उचित निर्णय लिया जाना चाहिए।
पूर्व प्रमुख अभियंता वी. के. जैन ने सुझाव दिया कि नगर निगम के कंसल्टेंट द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव और इंदौर उत्थान अभियान के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए विकल्प का तुलनात्मक अध्ययन अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए, ताकि व्यावहारिक और जनहितैषी निर्णय लिया जा सके।
इंजीनियर वी. के. गुप्ता और दिलीप शर्मा ने बताया कि दो फ्लाईओवरों के रैंप बहुत समीप होने पर उतरने-चढ़ने वाले तथा स्थानीय वाहनों की मिली-जुली आवाजाही से विकट स्थितियां बन सकती हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाएगी।
पर्यावरणविद डॉ. दिलीप वागेला एवं सुहास खांडेकर ने आग्रह किया कि दीर्घकालिक जनहित और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए ही योजना से जुड़े निर्णय लिए जाएं।