Vastu | स्त्री-पुरुष को रात को नहीं करना चाहिए ये काम, वरना

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sadbhawnapaati
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हिन्दू धर्मशास्त्रों में बहुत सरे ऐसे नियम बताये गए हैं जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन में बहुत महत्त्व रखते हैं | शास्त्रों और पुराणों में दिन और रात के लिए अलग-अलग काम बताए गए हैं। रात के लिए हमारे शास्त्रों में कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं जिनका पालन स्त्री हो या पुरुष सभी को करना चाहिए | यह सारे नियम इस तरह से बनाए गए हैं जो किसी न किसी तरह मनुष्य के लिए लाभप्रद हैं। इन नियमो का पालन न करने वालो के घर में आर्थिक एवं मानसिक परेशानी बानी रहती है |

-खुले बाल नहीं सोना चाहिए – रात में लड़कियों के लिए बालों को खुला रखना भी शास्त्रों के अनुसार प्रतिकूल प्रभाव देने वाला होता है। माना जाता है कि खुले बाल होने पर नकारात्मका उर्जा आसानी से इन पर प्रभाव बना लेती हैं। इसलिए सोने से पहले बालों को बांध लेना चाहिए। -चौराहों पर नहीं जाना चाहिए – चौराहा यानी जिस स्थान पर चारों ओर से आकर सड़कें आकर मिलती हो उस स्थान पर भी रात के समय नहीं जाना चाहिए। चौराहा संधि स्थल माना जाता है। इसलिए यहां नकारात्मक उर्जा के प्रभाव बना रहता है, खासतौर पर रात में यह प्रभाव बढ़ जाता है। आपने देखा भी होगा कि कुछ लोग शाम में या रात में चौराहे पर आकर टोने-टोटके करते हैं। इसलिए यहां पर देर रात टहलना खतरनाक हो सकता है। -बुरे चरित्र वाले व्यक्ति से दूर रहना चाहिए – इसके अलावा बुरी संगति में रहने वाले लोगों से भी संपर्क में नहीं रहना चाहिए। क्योंकि इस स्थिति में आपकी बदनामी और आपको नुकसान पहुंच सकता है। -श्मशान के आसपास नहीं जाना चाहिए – विष्णु पुराण में बताया गया है कि रात के समय भूलकर भी श्मशान के आस-पास नहीं जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि श्मशान भूमि के आस-पास नकारात्मक उर्जा अधिक सक्रिय रहती है। नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से आप प्रभावित हो सकते हैं और आपको नुकसान भी हो सकता है। -इत्र या डियो लगाकर नहीं सोना चाहिए – बहुत से लोग रात को सोने से पहले इत्र या डियो लगाते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसारा रात में इत्र लगाने से नकारात्मक शक्तियां आपकी ओर आकर्षित होती है। इसलिए कहा जाता है कि रात में हाथ पांव और चेहरा धोकर ईश्वर का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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