हिंदी व जनपदीय बोलियों के संग सम्मान का संगम

Rajendra Singh
By
Rajendra Singh
पर्यावरण संरक्षण एवं जैविक खेती के प्रति प्रशिक्षण
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इंदौर। इंदौर के प्रेस क्लब सभागार में शनिवार की शाम हिंदी साहित्य और जनपदीय भाषाओं के संगम की एक प्रेरक छवि देखने को मिली। मातृभाषा उन्नयन संस्थान, सीईपीआरडी और इंदौर लेखिका संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में छ: प्रतिष्ठित साहित्यकारों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पद्मश्री जगदीश जोशीला को ‘निमाड़ गौरव’ सम्मान व प्रो. सरोज कुमार को जीवन गौरव सम्मान प्रदान किया गया।

सम्मान समारोह के दौरान जोशीला ने कहा कि जनपदीय बोलियां हिंदी की जड़ हैं। जैसे नीमच, मंदसौर, खरगोन को निमाड़ी बोली को उपेक्षित किया गया है, वैसा अन्य बोलियों के साथ न हो। हिंदी के साथ-साथ इन बोलियों को भी मंच व मान देना आवश्यक है। मुख्य अतिथि विधायक उषा ठाकुर ने कहा हिंदी हमारी आत्मा है। राष्ट्र की उन्नति हिंदी के उत्थान से ही संभव है। बाल्यकाल से मेरा इससे जुड़ाव रहा है और आज यह आत्मीय भाव और प्रगाढ़ हुआ है। इस अवसर पर डॉ. पद्मा सिंह, डा. सुनीता फड़नीस, और मुन्नी गर्ग को साहित्य रत्न सम्मान तथा सत्यनारायण मंगल, मणिमाला शर्मा और नितेश गुप्ता को हिंदी रत्न सम्मान से नवाजा गया।

साहित्य की विविध विधाओं पर केंद्रित दो लघु फिल्मों ‘हिंदी’ और ‘गणगौर’ का प्रदर्शन भी समारोह का आकर्षण रहा। कार्यक्रम का संचालन डा. अखिलेश राय ने किया, जबकि स्वागत भाषण डा. अर्पण जैन ने दिया। एस एन गोयल ने आभार प्रदर्शन किया। आयोजन में डॉ. ओ पी जोशी, डॉ. दिलीप वागेला, डॉ. ऋषिना नातू सहित शहर के प्रमुख साहित्यकार, आलोचक, रचनाकार और हिंदी प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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