भोपाल । अभा कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार आनन-फानन में कानून बना देती है, जो देश हित में कतई नहीं होते। चाहे वह नोटबंदी का निर्णय हो या फिर किसानों के लिए बनाये गये काले तीन कृषि कानून की बात हो। श्री सिंह ने कहा कि अग्निपथ के तहत 17.5 साल से 21 साल तक की उम्र के युवा 4 साल के लिए सेना में भर्ती होंगे और उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा और 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद मेरिट के आधार पर भर्ती हुए अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत भारतीय सेना में जवान के रूप में ज्वाइन करेंगे। सेना अधिनियम 1950 के तहत 4 सालों के लिए अग्नि वीरों को सेना में भर्ती किया जाएगा, जिन्हें आदेश के मुताबिक जल, थल और वायु सेना में से कहीं भी भेजा जा सकेगा। सेवा चार चाल की होगी, जिसके समाप्त होने पर सेवा निधि मिलेगी। श्री सिंह ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा समय में 55 हजार से ज्यादा हार्ड स्किल्ड जवान तीनों सेनाओं में रिटायर होते हैं। इसमें से रिटायरमेंट के बाद 1 या 2 प्रतिशत लोगों को ही नौकरी मिल पाती है। ऐसे में अग्नि वीरों को नौकरी मिल पाएगी इसकी क्या गारंटी है। अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों के लिए पहले से ही नौकरियों में आरक्षण है, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप सी में 10 फीसदी आरक्षण और गु्रप डी में 20 फीसदी आरक्षण पूर्व सैनिकों के लिए है, जिसमें केंद्र सरकार के 77 विभागों में 34 में गु्रप सी में कुल संख्या में से महज 1.29 फीसदी और गु्रप डी में 2.66 फीसदी लोगों की ही भर्ती की गई हैं। केंद्र सरकार के 34 विभागों में गु्रप सी में की गई 10 लाख 84 हजार में से महज 13 हजार 976 पूर्व सैनिक हैं और 3 लाख 25 हजार ग्रुप डी कर्मचारियों में से महज 8 हजार 642 नौकरी पूर्व सैनिकों को ही मिली हैं। श्री सिंह ने अग्निपथ स्कीम की नीतिगत खामियां बताते हुए कहा कि छह महीने की ट्रेनिंग एक योद्धा को तैयार करने के लिए काफी नहीं हैं, एक अच्छा सैनिक बनने में कम से कम छह से सात साल लग जाते हैं। जबकि केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ के तहत केवल 6 महीने की ट्रेनिंग की बात कहीं गई हैं। श्री सिंह ने कहा कि सेना के जवानों में नाम, नमक और निशाल पाने के लिए मर मिटने की भावना होती है और यह भावना उन्हीं को समझ आती है, जो सेना में रहते हैं और सेना में लंबा समय गुजारते हैं। यह भावना बाहर से समझ नहीं आयेगी।