अहमदाबाद विमान हादसा: टेकऑफ़ के चंद मिनटों बाद क्रैश, 204 की मौत, एकमात्र जीवित यात्री की पहचान

sadbhawnapaati
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अहमदाबाद विमान हादसा | गुजरात की राजधानी अहमदाबाद बुधवार को एक भीषण विमान हादसे का गवाह बनी, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 (Boeing 787-8 Dreamliner), लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद क्रैश हो गई। हादसे में 204 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 41 घायल हैं। ज़मीन पर भी नुकसान हुआ है, जहां 5 मेडिकल कॉलेज के छात्र मलबे की चपेट में आकर मारे गए। यह हादसा दोपहर करीब 1:38 बजे हुआ।

विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 230 यात्री और 12 क्रू सदस्य शामिल थे। हादसे के बाद मौके पर पहुंचे राहत दलों ने अब तक 204 शवों को मलबे से बाहर निकाला है। एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति की पहचान रमेश विश्वास कुमार (ब्रिटिश नागरिक, सीट 11A) के रूप में हुई है, जो गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।


हादसा कैसे हुआ?

शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, टेकऑफ़ के कुछ ही क्षणों बाद विमान का ADS-B ट्रांसपोंडर बंद हो गया और विमान महज़ 625 फीट की ऊँचाई पर था। पायलट ने “Mayday” कॉल जारी की, लेकिन तब तक नियंत्रण खो चुका था। विमान पास के एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर जा गिरा, जिससे विस्फोट हुआ और आसपास के इलाकों में धुंए का गुबार फैल गया।

वायु यातायात नियंत्रक (ATC) का कहना है कि मौसम पूरी तरह साफ था, जिससे स्पष्ट है कि दुर्घटना के पीछे तकनीकी गड़बड़ी, यांत्रिक विफलता या पायलट से जुड़ी कोई समस्या हो सकती है।


जाँच कौन करेगा?

इस बड़े हादसे की जाँच के लिए DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) और AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) ने संयुक्त टीम गठित की है। इसके अलावा, ब्रिटेन की एएआईबी (Air Accidents Investigation Branch UK) की चार-सदस्यीय टीम भी अहमदाबाद पहुँच चुकी है, क्योंकि विमान का गंतव्य लंदन था और कुछ यात्री ब्रिटिश नागरिक थे।

जाँच में निम्न बिंदुओं को प्राथमिकता दी जाएगी:

  • ब्लैक बॉक्स (FDR और CVR) का विश्लेषण।

  • तकनीकी साक्ष्य जैसे इंजन, कंट्रोल सिस्टम की स्थिति।

  • पायलट की ट्रेनिंग, थकान और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी।

  • रनवे और टेकऑफ़ समय के ATC निर्देश

  • उड़ान से पहले का मैकेनिकल ऑडिट और रिपोर्ट


भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम जरूरी हैं:

  1. एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस और सुरक्षा ऑडिट को और सख्त बनाना।

  2. पायलट ट्रेनिंग में इमरजेंसी हैंडलिंग को अनिवार्य रूप से शामिल करना।

  3. उड़ान से पहले तकनीकी स्वास्थ्य जाँच को गहराई से करना।

  4. रनवे और ATC टेक्नोलॉजी में नवीनतम उपकरणों का उपयोग।

  5. अंतरराष्ट्रीय विमानन मानकों के अनुसार फ्लाइट सेफ्टी प्रोटोकॉल को लागू करना।


प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री, नागरिक उड्डयन मंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री ने इस हादसे पर शोक व्यक्त किया है। केंद्र सरकार ने घायलों के बेहतर इलाज और मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा देने की घोषणा की है।

एयर इंडिया के चेयरमैन ने घटना को “दुखद और अस्वीकार्य” बताते हुए कहा कि कंपनी पूरी तरह से जाँच में सहयोग करेगी और भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएँगे।


यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में शामिल हो गया है। इसने एक बार फिर विमानन सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। आवश्यक है कि जांच निष्पक्ष हो, रिपोर्ट सार्वजनिक हो और जिम्मेदारी तय की जाए, ताकि इस तरह के हादसे भविष्य में रोके जा सकें।

(सभी आँकड़े अधिकृत सूत्रों पर आधारित हैं, अंतिम पुष्टि के बाद अपडेट किया जाएगा)
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