इंदौर। वार्ड 66, झोन 12 स्थित बारह माथा बगीची, बारह माथा डेम के पास गुरुनानक कॉलोनी क्षेत्र में होल्कर काल से खड़ा पूजनीय पीपल का पेड़ अब नजर नहीं आएगा। लगभग 10 फीट बाय 10 फीट की गोलाई में फैला यह प्राचीन पेड़ चार दिन पहले काट दिया गया और इसकी लकड़ियाँ भी रहस्यमय तरीके से गायब कर दी गईं।
सूत्रों के अनुसार घटना की जानकारी मिलने पर सहायक उद्यान अधिकारी और दरोगा ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पीपल धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा हुआ था। अब इसके अचानक काटे जाने और लकड़ियाँ गायब होने से क्षेत्रवासियों में नाराजगी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि इतनी महत्वपूर्ण धरोहर को संरक्षित करने के बजाय क्यों समाप्त कर दिया गया।
विशेषज्ञों ने जताई चिंता
पेड़ों पर कई पुस्तकें लिख चुके पर्यावरणविद् डॉ. ओ.पी. जोशी ने बताया कि इस तरह का पीपल का पेड़ इंदौर में आज तक देखने में नहीं आया था। उनके अनुसार यह वृक्ष लगभग 250 से 300 वर्ष पुराना हो सकता है और इसे हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए था। उन्होंने इसे काटे जाने को एक निंदनीय कृत्य बताया।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे ऐतिहासिक वृक्ष न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि शहर की सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। इसके बावजूद इस तरह की घटनाएँ इंदौर में हरियाली के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।

