Press "Enter" to skip to content

EDITORIAL: हवाबाजी बयानबाजी से बचें प्रदेशवासी, नेतृत्व परिवर्तन 2023 के पहले संभव नहीं 

डॉ देवेंद्र मालवीय 

जब से मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है तब से नेतृत्व परिवर्तन की खबरें उठती रही हैं, लगभग हर महीने यह खबरें आम होती हैं और राजनीतिक गलियारों से चर्चा रहती है कि प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर कोई और आने वाला है, पर यह खबर सिर्फ खबर बन कर रह जाती है|
यह खबर उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले भी उड़ती रही हैं कि योगी का विकल्प ढूंढा जा रहा था लेकिन इसके उलट उत्तरप्रदेश में सरकार प्रचंड बहुमत से आई | मध्यप्रदेश में भी यह चर्चा केवल राजनैतिक पंडितों और अखबारों की कतरनों  से इतर कुछ भी नहीं है. मीडिया सुर्खियां बटोरने के लिए इन तरह कि खबरों को आम करता है,
राजनैतिकों द्वारा जनमानस को मूल मुद्दों से भटकाने की यह एक हास्यास्पद कोशिश के अलावा कुछ भी नही| इस खबर की सत्यता पर इसलिए भी सवाल हैं क्योंकि अब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने वाले नेताओं के लिए पद ग्रहण करना एक कठिन चुनौती है, शासन और प्रशासन का चोली दामन का साथ है सारे आईएएस, आईपीएस डायरेक्टरेट,
प्रमुख सचिव की स्थापना करने में कम से कम 4 महीने का समय लगेगा, उसके बाद 6 महीने के भीतर विधानसभा चुनाव सिर पर होगा जहां शिवराज द्वारा किए गए सारे कार्यों का लेखा जोखा उस नए चेहरे को देना पड़ेगा जिसमे उसका राजनीतिक करियर भी दांव पर लग सकता है|

शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम है यूं अचानक से सत्ता के बड़े केंद्र को बदल देना राजनीति के नैतिक सिद्धांतो के विपरीत है| और शीर्ष नेता बिलकुल नहीं चाहेंगे कि ऐसे विकट समय जब नेताओं का पार्टियों में आवागमन जारी है एक बड़े नेता को नाराज करें|
प्रदेश में चल रहे नित नए घोटाले और चरमराती शिथिल रोजगार व्यवस्था के मध्य किसी भी नए चेहरे को जनता का भरोसा जीतना उतना ही कठिन है जीतना मछली का पेड़ पर चढ़ना|

अतः व्यक्तिगत विचार यह कहते हैं कि नेतृत्व परिवर्तन की खबरें सिर्फ जनता का मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक साधन मात्र है, और मुमकिन है कि यह राजनीतिक हलकों से उठी एक सोची समझी सुनियोजित अफवाह रहती है जिसका मूल उद्देश्य जनता को गुमराह करना है|
व्यापम, कारम, पोषण आहार, नर्सिंग, के अलावा और कई ऐसे कारनामे है जिनसे हम और आप वाकिफ नहीं है, रेत में खड़ी इस नाव का वापस पानी में उतरना बहुत जरूरी है और ये काम स्थिर यात्री कर सकते हैं, बदलते नाविक नही| इसलिए बदलने की कवायतों से दूर मूल मुद्दे पर आना चाहिए.
Spread the love
More from Editorial NewsMore posts in Editorial News »