वीर बगीची में संस्कृत पाठशाला, कर्मकांड सहित कई विधाओं में हो रहे पारंगत

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sadbhawnapaati
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नवनिर्मित भवन में 50 से अधिक बटुक ले रही शिक्षा-दीक्षा
इन्दौर। पंचकुइया स्थित वीर बगीची में नवनिर्मित संत निवास में 50 से अधिक बटुक संस्कृत पाठशाला में शिक्षा, दीक्षा के साथ साथ संस्कार भी सीख रहे है। प्रतिदिन सुबह और शाम को यहां विद्वान पंडितो द्वारा बटुकों को संस्कृत के साथ कर्मकांड के सभी विधाओं को अध्ययन कराया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि वीर बगीची में नवनिर्मित संत निवास बनाया गया है। जिसका लोकार्पण मुक्तानंद महाराज द्वारा किया गया। इस नवनिर्मित भवन में 12 से अधिक कमरों का निर्माण भी किया गया है।
जिसमे बटुकों के साथ-साथ संतो के ठहरने की व्यवस्था की गई है। वही संस्कृत पाठशाला के लिए भव्य हाल बनाया गया है जिसमे बटुकों को से संस्कृत के अध्ययन के साथ संस्कार में भी दिए जाते है।
बाल ब्रह्मचारी पवनान्द महाराज ने बताया कि भारत सनातन देश है। यहां वर्ष भर अलग-अलग त्यौहार भी बड़े उत्साह पूर्वक मनाये जाते है। देश में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग भी रहते है। लेकिन संस्कृत भाषा हमारे ऋषि मुनियों द्वारा हमें बताई गई है।
जिसका अनुसरण हम सभी को करना चाहिए। आज संस्कृत भाषा विलुप्त हो चुकी है। वीर बगीची में प्रारंभ संस्कृत पाठशाला से संस्कृत भाषा को बढ़ावा मिलेगा। वीर अलीजा भक्त मंडल ने बताया कि संत निवास बनने से यहां संतों का आगमन होगा जिससे यहां पढ़ने वाले बटुकों को उनका सान्निध्य भी प्राप्त होगा।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।