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28 मार्च को कृषि कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन
इसके बाद 28 मार्च को भी होली के मौके पर किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। इस दिन किसान कृषि कानून के बिल की कॉपियां जलाकर होलिका दहन का आयोजन करेंगे। किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करें और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए लिखित गारंटी दे। बता दें, यह आंदोलन 100 से अधिक दिनों से जारी है। सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार कानून में जरूरी बदलाव करने को जारी है, लेकिन किसान वापसी पर अड़े हैं।
पूरी तरह राजनीतिक हो चुका किसान आंदोलन
यह बात और है कि किसान आंदोलन अब पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है। पहले किसानों ने कहा था कि उनके मंच पर कोई राजनेता नजर नहीं आएगा, लेकिन अब राजनेताओं के अलावा कोई नजर नहीं आता। राकेश सिंह टिकैत जगह-जगह पंचायतें कर रहे हैं और मकसद सिर्फ भाजपा के खिलाफ माहौल बनाना है। पश्चिम बंगाल में भी वे लोगों से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं।
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