आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अधिकतर लोग तनावग्रस्त हैं। जब आपका मन चिंतित होता है और खुश नहीं होता तो आप किसी भी काम में अच्छी तरह फोकस नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण आपमें गुस्सा, अवसाद, बेचैनी, एंजायटी, बीपी आदी कई परेशानियां जन्म ले लेती हैं। ऐसे में मन की शांति के लिए योग सबसे बेहतर विकल्प माना गया है। वैसे तो बहुत से योगासन है जो हमारे तन और मन को स्वस्थ रखने में बेहद उपयोगी हैं। पर आज हम आपको एक ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है और आप तनाव मुक्त रहते हैं। इस आसन का नाम है भ्रामरी प्राणायाम।
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इस प्राणायाम को सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों समय किया जा सकता है। इसे करने के लिए सबसे पहले आप किसी शांत वातावरण में, सुखासन में बैठ जाएं.
अब आपको अपने हाथों की उंगलियों को चेहरे पर इस तरह से रखना है-
- कनिष्का उंगली – मुंह के दोनों ओर, अनामिका- नाक के दोनों ओर, मध्यमा- आँखों के कोनों पर, तर्जनी दोनों ओर की कनपट्टी पर और अंगूठे से अपने दोनों कानों को बंद कर लें।
- अब नाक से सांस लें, थोड़ा सा रूकें, अब सांस छोड़ते हुए मधुमक्खी के भिनभिनाने जैसी ध्वनि निकालें। यह प्राणायाम करते हुए ध्यान रखें कि आपका मुँह बंद रहे और आप नाक से ही सांस लें और छोड़ें।
- आप नीची ध्वनि या ऊँ का उच्चारण भी कर सकते हैं, लेकिन ऊँची ध्वनि निकालने से इसके अधिक फायदे मिलते हैं।
- फिर से गहरी साँस लें और थोड़ा रूक कर साँस छोड़ें। इस प्रकिया को 5 से 7 बार दोहराएं।
- यदि आपको उंगलियां चेहरे पर रखने में दिक्कत आ रही हो तो अपनी तर्जनी उंगली से दोनों कानों को बंद करके भी आप भ्रामरी प्राणायाम कर सकते हैं।
- इस प्राणायाम को करने के दौरान अपनी आँखें बंद रखें और केवल ध्वनि पर एकाग्रता बनाने का प्रयास करें।
- ध्यान दीजिए यह प्राणायाम आप खाली पेट, बाकी व्यायाम करने के बाद करेंगे तो अधिक फायदेमंद होगा।
- इस प्राणायाम को निरंतर करने से आपको अपने शरीर में काफी हल्कापन महसूस होगा और आपको शरीर में तरंगे भी महसूस होंगी। इसे रोज़ाना 5 मिनट के लिए करें और अभ्यास के साथ-साथ समय की अवधि बढ़ा दें।यह प्राणायाम व्यक्ति में आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
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