(विचार-मंथन) बूस्टर का अभियान 

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लेखक-सिद्धार्थ शंकर

कोरोना महामारी के खिलाफ एक और बड़ी जंग शुरू हो गई है। 75 दिन बूस्टर डोज का विशेष अभियान चलेगा। केंद्र सरकार ने सभी वयस्कों के लिए कोविड टीकों की एहतियाती खुराक लगाने का फैसला किया है। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है। हर रोज 15 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं और मौत के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने सभी वयस्कों को एहतियाती खुराक देने का फैसला किया है। कोरोना से बचने के लिए जहां सरकार लोगों से टीका लगवाने की अपील कर रही है वहीं अब कुछ लापरवाही भी सामने आई है। दरअसल, बूस्टर डोज को लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। अभी तक 18-59 वर्ष की लक्षित 77 करोड़ आबादी में मात्र एक प्रतिशत से भी कम लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है। कोरोना संक्रमण होने पर मौत से बचाने और गंभीर लक्षण रोकने में वैक्सीन की अहम भूमिका साबित हो चुकी है। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड रोधी वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद बूस्टर डोज लेने की समय सीमा को भी नौ महीने से घटाकर छह महीने कर दिया है। अब 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति सरकारी टीकाकरण केंद्र पर जाकर बूस्टर डोज लगवा सकता है।इसमें संदेह नहीं कि फिलहाल कोरोना विषाणु के संक्रमण का जोर कम है, लेकिन रह-रह कर इसके वेरिएंट के फैलने की खबरें आती रहती हैं। अक्सर ऐसा हुआ है जब आम लोगों ने अपने स्तर पर लापरवाही बरती तो उसके नतीजे में संक्रमण के मामलों में तेजी आ गई। हालांकि इससे बचाव के लिए सरकार की ओर से किए गए तमाम उपायों के साथ-साथ देशव्यापी टीकाकरण ने कोरोना की रोकथाम में एक बड़ी भूमिका निभाई है, मगर बड़ी चुनौती यह है कि अगर इस महामारी से राहत के हालात को कायम रखना है तो उसके लिए हर स्तर पर चौकसी बनाए रखी जाए। इस लिहाज से देखें तो सरकार ने टीकाकरण के मोर्चे पर ठोस नतीजे देने वाला काम किया है, जिसके तहत व्यापक पैमाने पर लोगों को टीके की दो खुराक लगाई गई। यह उपाय कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूर्व सावधानी के तौर पर उठाए गए अन्य कदमों के अलावा एक सबसे कारगर उपाय रहा। इसके बाद यह देखा गया कि देश भर में कोरोना के संक्रमण के मामलों में कमी आई। कोरोना विषाणु की अब तक जैसी प्रकृति देखी गई है, उसमें दुनिया भर के विशेषज्ञों ने यही बताया है कि इससे संक्रमित व्यक्ति के इलाज के दौरान जिस तरह की जटिलता देखी गई है, उसमें सबसे बेहतर यही है कि विषाणु के संक्रमण से बचाव के तरीके अपनाए जाएं। इसमें अन्य तरीकों के मुकाबले टीकाकरण को सबसे कारगर उपाय बताया गया है। यों शुरुआत में दो खुराक को कोरोना विषाणु के संक्रमण की रोकथाम के लिए पर्याप्त बताया गया था, लेकिन वक्त के साथ इसके वैरिएंट ने हालात को जटिल बनाया है। आज भी देश के कुछ हिस्सों में अचानक ही संक्रमण की रफ्तार में बढ़ोतरी हो जाती है। शायद यही वजह है कि सरकार ने अब इसके टीकों की दो खुराक के बाद कोरोना पर काबू पाने के मकसद से एहतियाती खुराक को और विस्तारित रूप में देने का फैसला किया है। हालांकि इसकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है और इसके लिए स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर कई स्तर पर पात्र लोगों को अतिरिक्त खुराक दिया गया है, लेकिन अब तक आम लोगों के बीच इसे लेकर एक तरह की उदासीनता देखी गई है। जबकि पहले के दोनों निर्धारित खुराक लेने के लिए लोगों ने पर्याप्त उत्साह दिखाया था। हो सकता है कि इस बीच कोरोना विषाणु के संक्रमण की रफ्तार में कमी आने की वजह से लोग निश्चिंत होते दिखे। यह भी संभव है कि लोगों के भीतर कुछ आशंकाएं पैदा हुई हों। वजह चाहे जो हो, इस तरह के हालात में सरकार पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि लोग किसी अभियान में भाग लेते हुए खुद को सुरक्षित महसूस करें। इसके मद्देनजर सरकार ने कई स्तर पर सावधानी के साथ इस अभियान को गति दी है और इसमें लोगों की हिस्सेदारी को उत्साहित करने के मकसद से अतिरिक्त खुराक के लिए कोई शुल्क नहीं लगाने का फैसला किया है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि एहतियाती खुराक लेने के प्रति भी लोग सजगता बरतेंगे और इस तरह महामारी को कमजोर करने के अभियान में भागीदारी निभाएंगे।

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