(लेखक-सिद्धार्थ शंकर)
पाकिस्तान की सियासत का अब हर दिन बेहद अहम है। वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुका है। प्रस्ताव पर चार अप्रैल को वोटिंग होगी। लेकिन प्रस्ताव से पहले ही इमरान सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पाकिस्तान की जम्हूरी वतन पार्टी के नेता और बलूचिस्तान में सलाहकार शाहजैन बुगती ने इमरान की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुगती ने कहा कि मैं अब विपक्षी गठबंधन के साथ हूं। इससे पहले उनकी पार्टी के 24 सांसद और तीन सहयोगी दल इमरान का साथ छोड़ चुके हैं। पाकिस्तान की संसद में बहुमत के लिए 172 सांसदों की जरूरत है। इमरान के पास 179 सदस्य हैं। जिसमें पीटीआई के 155 सदस्य हैं। लेकिन सांसदों के बागी होने के बाद अल्पमत में इमरान सरकार है। अब तक करीब 24 सांसद इमरान खान का साथ छोड़ चुके हैं। जिसके बाद से कहा जा रहा है कि इमरान के लिए सरकार बचाना काफी मुश्किल हो चुका है।
इमरान खान की स्थिति अनिश्चित है और चार सहयोहियों में से तीन ने एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू और बीएपी ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को अपना समर्थन दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने उसी के अनुसार मतदान करने की बात भी कही है। विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए 172 सदस्यों की जरूरत है, लेकिन उन्हें 190 सदस्यों का समर्थन मिल सकता है। इस बीच इमरान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्यों को वोटिंग से दूरी बनाने की हिदायत दी है। कहा जा रहा है कि इमरान को अपनी पार्टी के सदस्यों पर ही भरोसा नहीं है कि वे उनके पक्ष में वोट करेंगे। इमरान इसलिए नहीं चाहते की उनकी पार्टी के सदस्य वोटिंग में शामिल हों, क्योंकि वोटिंग के दौरान बगावत करने वालों की संख्या 24 से बढ़कर 40 तक हो सकती है। पाकिस्तान की ताकतवर सेना पहले ही कह चुकी है कि वह इस मामले में तटस्थ रहेगी। सेना की तटस्थता का सबूत यह भी है कि हाल ही में खैबर पख्तुनख्वा में स्थानीय निकाय के और पंजाब में एक जगह उपचुनाव हुए। दोनों ही जगह पीटीआई सत्ता में है।
जब विपक्ष को यकीन हो गया कि इमरान की मदद के लिए सेना हस्तक्षेप नहीं करेगी, तभी उसने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भेजा। फिर सत्तारूढ़ पीटीआई के कुछ सांसदों ने पाला बदलते हुए खुलेआम कहा कि वे विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे, तब सैन्य प्रतिष्ठान ने उन्हें नहीं रोका। इस पर नाराज इमरान खान ने एक रैली में पूछा कि तटस्थता क्या होती है। उन्होंने कहा कि हर आदमी को किसी पक्ष को चुनना पड़ता है। तटस्थ तो सिर्फ जानवर होते हैं। यह सभी को पता है कि इमरान सत्ता में सेना की वजह से ही आए थे और अब तक उसी के कहे अनुसार चलते रहे। मुसीबत के समय जब सेना ने साथ छोड़ा तो इमरान की खीझ भी सामने आ गई।
इमरान खान की स्थिति अनिश्चित है और चार सहयोहियों में से तीन ने एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू और बीएपी ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को अपना समर्थन दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने उसी के अनुसार मतदान करने की बात भी कही है। विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए 172 सदस्यों की जरूरत है, लेकिन उन्हें 190 सदस्यों का समर्थन मिल सकता है। इस बीच इमरान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्यों को वोटिंग से दूरी बनाने की हिदायत दी है। कहा जा रहा है कि इमरान को अपनी पार्टी के सदस्यों पर ही भरोसा नहीं है कि वे उनके पक्ष में वोट करेंगे। इमरान इसलिए नहीं चाहते की उनकी पार्टी के सदस्य वोटिंग में शामिल हों, क्योंकि वोटिंग के दौरान बगावत करने वालों की संख्या 24 से बढ़कर 40 तक हो सकती है। पाकिस्तान की ताकतवर सेना पहले ही कह चुकी है कि वह इस मामले में तटस्थ रहेगी। सेना की तटस्थता का सबूत यह भी है कि हाल ही में खैबर पख्तुनख्वा में स्थानीय निकाय के और पंजाब में एक जगह उपचुनाव हुए। दोनों ही जगह पीटीआई सत्ता में है।
जब विपक्ष को यकीन हो गया कि इमरान की मदद के लिए सेना हस्तक्षेप नहीं करेगी, तभी उसने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भेजा। फिर सत्तारूढ़ पीटीआई के कुछ सांसदों ने पाला बदलते हुए खुलेआम कहा कि वे विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे, तब सैन्य प्रतिष्ठान ने उन्हें नहीं रोका। इस पर नाराज इमरान खान ने एक रैली में पूछा कि तटस्थता क्या होती है। उन्होंने कहा कि हर आदमी को किसी पक्ष को चुनना पड़ता है। तटस्थ तो सिर्फ जानवर होते हैं। यह सभी को पता है कि इमरान सत्ता में सेना की वजह से ही आए थे और अब तक उसी के कहे अनुसार चलते रहे। मुसीबत के समय जब सेना ने साथ छोड़ा तो इमरान की खीझ भी सामने आ गई।