- जीत के अतिरेक में मदमस्त मोहन-विष्णु-नरोत्तम
- कांग्रेस का मनोबल कम करते करते गिरा रहे हैं भाजपा का आत्मबल
- मामला कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल कराने का
गौरव चतुर्वेदी
सदभावना पाती भोपाल। राजनीति में अक्सर किसी बड़े नेता का कद छोटा करने छोटे नेता के कद को बड़ा बना दिया जाता है या फिर बड़े नेता के कद को छांट दिया जाता है। भारतीय जनता पार्टी में हालिया दौर में यह हालात लगातार देखने में नजर आ रहा है। हालिया संपन्न मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव के परिणामों के आने के बाद भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के रहे हैं। भाजपा इसे पीढ़ी परिवर्तन का दौर मान रही है। इसी कवायद में कांग्रेस मुक्त भारत की और कदम बढ़ाती भाजपा अब कांग्रेस युक्त होती जा रही है।
मध्यप्रदेश में हर रोज सैकड़ों कांग्रेस नेता (क्योंकि कांग्रेस में कार्यकर्ता बनने की परिपाटी नहीं रही है) भाजपा की सदस्यता ले रहे हैं। मोदी शाह के इस अभियान को सफल बनाने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, न्यू ज्वाइनिंग टोली के संयोजक डॉ नरोत्तम मिश्रा लगातार अपने आपको झोंकें हुए हैं। भाजपा कार्यालय में कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेता के स्वागत को लेकर रोज सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है।इस पूरी कवायद से भाजपा का देवदुर्लभ कार्यकर्ता हैरान परेशान नजर आ रहा है। इन देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं के मन में भविष्य को लेकर सवाल है।
विचारधारा और कैडर – भारतीय जनता पार्टी जिस मूल विचारधारा को लेकर राजनीति में आई थी, देव दुर्लभ कार्यकर्ता को वह छिन्न-भिन्न होती नजर आ रही है। पार्टी में आयातित कार्यकर्ताओं की भीड़ तो बड़ी है पर आने वाले समय में कैडर में डिस्टर्बेंस आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। आयातित कार्यकर्ता भले ही इस बात को कह रहे हैं कि वे राष्ट्रवाद, राम मंदिर पर कांग्रेस के रुख के कारण भाजपा में आए हैं पर असल वजह भाजपा शासन में अपने काम धंधे बचाना और सत्ता सुख पाना है। स्वाभाविक तौर पर मूल कार्यकर्ता भी लंबे समय से सत्ता सुख भोगते भोगते साझेदारी करने के मूड में नहीं है।
मोहन – विष्णु -नरोत्तम की कार्यशैली – कांग्रेस के छोटे बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के लिए जिस तरह से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, न्यू ज्वाइनिंग टोली के संयोजक नरोत्तम मिश्रा पार्टी कार्यालय में समारोह आयोजित कर रहे हैं या अपना समय दे रहे हैं देव दुर्लभ कार्यकर्ता उसे गरिमापूर्ण नहीं मान रहे हैं। दिल्ली में बैठे नेताओं का मन जीतने के चक्कर में मोहन -विष्णु -नरोत्तम अपने राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों को सही दिशा में अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ता भी शामिल नहीं हो रहे हैं जो बहुत बड़े स्तर के हों और जिनके लिए मुख्यमंत्री या प्रदेशाध्यक्ष सहित केंद्र से भेजे गए प्रभारियों को उन कार्यक्रमों में मौजूद रहना हो।
सांसद, विधायक, मंत्री, जिलाध्यक्षों की दूरी
अभी तक मध्यप्रदेश में लगभग 16 हजार कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने का दावा किया जा रहा है। मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेश कार्यालय में नवागत सदस्यता अभियान के दौरान सांसद, विधायक, मंत्री, जिलाध्यक्षों की दूरी देखी गई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संभवत नये सदस्यों के भाजपा में प्रवेश के पूर्व सांसद, मंत्री, विधायकों और जिलाध्यक्षों से ना तो राय ली जा रही है और ना ही उन्हें बताया जा रहा है। जो भविष्य की दृष्टि से पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होगा।
भाजपा के उक्त वरिष्ठ नेता का कहना है कि ऐसा लग रहा है मानो सोने के आभूषण पर पीतल की पॉलिश चढ़ाई जा रही हो। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का मनोबल गिराने के चक्कर में भाजपा के आत्मबल में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है।