इंदौर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं देश की अर्थव्यवस्था कैशलेस हो। डिजिटल पेमेंट हो लेकिन बीएसएनएल में डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था ही नहीं रहती है। मशीन खराब है यह कहकर उपभोक्ताओं से नोट में भुगतान मांगा जाता है। लापरवाही और मनमानी ने बीएसएनएल को बर्बाद कर दिया है। प्राइवेट कंपनियां अरबों रूपए कमा रही है तो भारत संचार निगम लिमिटेड बर्बाद हो रहा है। उपभोक्ता समय पर भुगतान करने के लिए जब टेलीफोन एक्सचेंज नेहरू पार्क रोड पहुंचते हैं तो नकद भुगतान का कहा जाता है। मशीन खराब है या डिजिटल पेमेंट लेने की व्यवस्था नहीं है। बैंक से नई मशीन बुलाई जा रही है। इन बहानों की आड में टेलीफोन और मोबाइल उपभोक्ता को टरकाया जाता है। कोई उपभोक्ता नकद नहीं लाता है तो दो चार दिन बाद आता है। तब तक दूरसंचार विभाग का पेमेंट अटका रहता है। इन चार दिनों का बैंक ब्याज का बीएसएनएल को नुकसान होता है।
काउंटर पर बैठी महिला कर्मचारी ने डिजिटल पेमेंट के बारे में कहा मशीन ठीक नहीं है। आखिर कब ठीक होगी या नई मशीन बुलवाई जाएगी इसका उत्तर भारत संचार निगम के अधिकारी ही दे सकते हैं। आज एक अप्रैल को जिम्मेदार अधिकारी नहीं थे।
भवन की बर्बादी बदहाली
एक कमरा बनाने में किसी व्यक्ति या संस्था को लाख से दो लाख रूपया खर्च करना पड़ता है लेकिन यहां तो करोड़ों रूपए की बीएसएनएल की इमारत पर बारिश की काई जमकर सूख गई है। भवन में जंगली पौधे छत पर उगकर उसको खंडहर बना रहे हैं लेकिन किसी को सुरक्षा, रंगाई पुताई, सफाई की चिंता नहीं है। बिल्डिंग टूटेगी फूटेगी बर्बाद होगी तब जाकर टेंडर निकाले जाएंगे। भ्रष्टाचार होगा। नई बिल्डिंग बनाने की बात होगी बस ऐसा ही होगा। यह कडवा सच है। भवन की हालत इतनी खराब है कि सुमित्रा महाजन ने जो उद्घाटन का पत्थर लगाया था वह भी टेढ़ा होकर ढहने की कगार पर पहुंच गया है।