परम्परा परिवार मंच द्वारा स्व. लता मंगेशकर की स्मृति में ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित

sadbhawnapaati
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गुड़गांव(हरियाणा) – साहित्य एवम समाज को समर्पित “परम्परा” परिवार द्वारा इस निराशा भरे माहौल में आशा का दीप जलाने हेतु ऑनलाइन काव्य तथा गीत-संगीत गोष्ठियों का अनवरत क्रम ज़ारी है।
इसी क्रम में स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी को समर्पित एक सन्ध्या “मेरी आवाज ही पहचान है ” ज़ूम ऐप के माध्यम से आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में भारत के साथ ही प्रवासी भारतीय कवियों द्वारा अपने-अपने घरों से ही मोबाइल व कम्प्यूटर के माध्यम से लता जी के गाए गीतों को प्रस्तुत करके, य़ह संध्या उत्साह एवम सफलतापूर्वक आयोजित की गई।

परम्परा परिवार मंच द्वारा स्व. लता मंगेशकर की स्मृति में ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित

सभी साहित्यकारों द्वारा विभिन्न रसों से भरपूर गीतों का पाठ किया गया। समारोह में श्रीमती प्रमिला भारती जी,श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेई जी,श्रीमती ममता “किरण” जी, श्रीमती करुणा श्रीवास्तव जी, श्रीमती विजया ठाकुर जी, डॉ माला कपूर “गौहर” जी, श्री के के सक्सेना जी, डॉ आदेश सक्सेना जी, डॉ ललित मोहन सक्सेना जी ने एक से बढ़कर एक सुन्दर गीत प्रस्तुत किए. कार्यक्रम का “परम्परा” परिवार के फेसबुक पेज पर सीधा प्रसारण भी किया गया।
ज्ञात हो कि 15 अगस्त’2021 से “परम्परा” परिवार के फेसबुक पेज पर होने वाले सीधे प्रसारण से जुड़ने वाले मित्रों में से, कुछ मित्रों को भी (उसी कार्यक्रम में) रचना पढ़ने हेतु आमंत्रित करने की योजना लागू की गई है।
इस योजना के अंतर्गत इस गोष्ठी में राजस्थान से श्री गुरुदीन वर्मा आजाद जी ने “मेहमान कलाकार” के रूप में उपस्थित होकर अपना काव्यपाठ प्रस्तुत किया।
गोष्ठी का संचालन लता जी के गीतों की पंक्तियों द्वारा, परम्परा परिवार के संस्थापक राजेन्द्र निगम “राज” तथा संयोजिका इन्दु “राज” निगम द्वारा किया गया।
अन्त में बाजपेयी जी ने अपने वक्तव्य में लता जी के व्यक्तित्व तथा हिन्दी की महत्ता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला और कहा कि महामारी के इस दौर में भी परम्परा परिवार, समाज में साहित्य की अलख जगाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और विशेषकर प्रवासी भारतीयों को एक साथ जोडक़र, उनके साहित्य प्रेम को उजागर करने का अति उत्तम व महत्वपूर्ण कार्य भी कर रहा है।
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