कोरोना की दूसरी लहर से ही देश में हाहाकार मचा है और इसी बीच तीसरी लहर की बात ने सबको डरा दिया है, लेकिन बात डरने की नहीं है, अलर्ट रहने की है, खुद को तैयार करने की है, क्योंकि दूसरी लहर पर जैसी बेफिक्री थी, वो बेफिक्री हम तीसरी लहर में नहीं दिखा सकते. तीसरी लहर में खतरा सीधे बच्चों पर है. तीसरी लहर में बच्चे संक्रमण का शिकार बन सकते हैं.
2020 की पहली लहर में अधिकतर 50 साल से ऊपर के लोग और सीनियर सिटीजंस संक्रमण का शिकार हुए थे, तो 2021 की दूसरी लहर में 31 से 50 साल की एज ग्रुप के लोगों को ज़्यादा निशाना बनाया, इसलिए अब तीसरी लहर में बच्चों को लेकर बहुत चिंता है. तीसरी लहर में 6 से 12 साल के बच्चों को ज़्यादा खतरा बताया गया.
महाराष्ट्र सरकार ने शुरू की तैयारी इसे लेकर महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कान भी खड़े हो गए हैं, जहां जुलाई से सितंबर तक तीसरी लहर आने की बात कही गई है, इसीलिए महाराष्ट्र में पीडिएट्रिक कोविड केयर वॉर्ड बनाने की तैयारी भी चल रही है. हर जिले के कलेक्टर और नगर पालिका को निर्देश दे दिए गए हैं. मुंबई में Neonatal Intensive Care Unit (NICU) और Pediatric Intensive Care Unit (PICU) की सुविधा वाले अलग कोविड वॉर्ड बनने जा रहे हैं.
अभी इस एज ग्रुप को लगाया जा रहा टीका दूसरी लहर के बीच हर जगह ऐसी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि कुछ गारंटी नहीं कि तीसरी लहर कब आएगी और कैसे किसको निशाना बनाएगी. अबतक देश में 45 साल से ऊपर की कुल आबादी में 31% लोगों को पहला टीका लग चुका है. 18 से 44 साल की उम्र के लोगों के लिए भी एक मई से वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है.
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अभी 18 से कम उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं इसलिए कोरोना की आने वाली लहर में अब उन्हें बड़ा खतरा है, जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है और इसमें सबसे बड़े रिस्क की कैटगरी में 18 साल से कम उम्र की आबादी होगी. जब तक 18 साल से कम उम्र की आबादी का वैक्सीनेशन नहीं होता, तब तक उनके लिए खतरा हमेशा बना रहेगा और इसीलिए तीसरी लहर के बारे में बच्चों को लेकर सभी सहमे हैं. बच्चों के खतरनाक साबित हो सकती है तीसरी लहर शून्य से लेकर 18 साल तक के एज ग्रुप की आबादी, देश की कुल आबादी का 30% है. इस आबादी में वायरस से लड़ने वाली हर्ड इम्यूनिटी तब तक तैयार नहीं हो सकती. जब तक इनका वैक्सीनेशन नहीं होता और अगर वैक्सीनेशन नहीं होगा तो तीसरी लहर में बच्चे ही इंफेक्शन के कैरियर बन जाएंगे और दूसरों को संक्रमित करेंगे.
90 दिन में बन सकती है बच्चों के लिए वैक्सीन लेकिन बच्चों की वैक्सीन पर क्या तैयारी है? क्या ऐसी कोई वैक्सीन बनाई जा रही है? अगर वैक्सीन पाइपलाइन में है, तो कितना इंतज़ार करना होगा? ये सवाल अब सबके दिमाग में चल रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसी वैक्सीन के पीडिएट्रिक ट्रायल में ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा. सरकार से ग्रीन सिग्नल मिल जाए, तो 90 दिन के अंदर बच्चों के लिए वैक्सीन रोल आउट हो सकती है. देश के सामने तीसरी लहर से निपटना चुनौती इसके लिए को-वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास अप्लीकेशन भी दे चुकी है, जिसे जल्द ही ट्रायल की मंज़ूरी भी मिल सकती है. अब देश के सामने बड़ी चुनौती यही है कि संक्रमण के बड़े खतरे से बच्चों को कैसे बचाया जाए और कैसे समय रहते सभी तैयारी कर ली जाए. क्योंकि दूसरी लहर में जो हाल हो रहा है, उसे बर्दाश्त करना मुश्किल है और अब तो बच्चों की बात है
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