सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझावात्मक निर्देश देते हुए कहा कि वह संसदीय समिति की सिफारिश वाली रिपोर्ट पर विचार करते हुए ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देने और उम्र सीमा में छूट देने के फैसले पर निर्णय करे। कोरोना महामारी से संक्रमित होने के कारण यूपीएससी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा देने से चूके उम्मीदवारों की एक और मौका देने और उम्र सीमा में छूट देने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग की ओर से पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत को बताया था कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त प्रयास संभव नहीं है। जवाबी हलफनामे में कहा गया कि अतिरिक्त प्रयास का मौका देना और उम्र सीमा संबंधी नियमों में बदलाव करना आसान प्रक्रिया नहीं है। अगर ऐसा किया भी जाता है तो भविष्य में गलत परंपरा भी शुरू हो सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने किया हस्तक्षेप
हालांकि, गुरुवार को मामले में दखल देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को संसदीय समिति की एक हालिया रिपोर्ट से अवगत कराया। संसदीय समिति की 24 मार्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान छात्र वर्ग को हुई कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार को अपना विचार बदलने और सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) उम्मीदवारों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की जरूरत है। समिति सभी उम्मीदवारों को संबंधित आयु में छूट के साथ एक अतिरिक्त प्रयास प्रदान करने की सिफारिश करती है।