सीएम की नाराजगी के बाद फील्ड में उतरा अमला
सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग के बारे में नहीं बता पाए ड्राइवर
भोपाल। भोपाल के प्राइवेट स्कूल की बस में साढ़े 3 साल की बच्ची से रेप के मामले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुबह अफसरों को तलब किया था। इसमें दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई। सीएम की नाराजगी को देखते हुए जिला प्रशासन, पुलिस, आरटीओ और स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर जागे।
करीब छह घंटे बाद कार्रवाई करने के लिए टीमें मैदान में उतरी और बसों से जुड़ी सारी जांच करने लगी। बसों में सीसीटीवी कैमरे, फिटनेस समेत कई बिंदुओं पर चेकिंग की जा रही है। इससे हड़कंप की स्थिति बन गई। कई बसों में खामियां मिली हैं।
करीब चार साल बाद भोपाल में बसों की चेकिंग शुरू की गई है। इससे पहले वर्ष 2018 में कार्रवाई हुई थी। गुरुवार दोपहर 1 बजे बाद चेकिंग शुरू की गई। इस दौरान बच्चों की छुट्टियां होती हैं। कोलार रोड पर बसों की लंबी लाइन लग गई। रातीबड़ में भी ऐसे ही नजारे देखने को मिले। डीसीपी ट्रैफिक हंसराज सिंह ने बताया, पुलिस, जिला प्रशासन, आरटीओ और स्कूल शिक्षा की संयुक्त टीमें जांच कर रही हैं। इस दौरान यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि बच्चों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। कई बसों में सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग के बारे में ड्राइवर ही नहीं बता पाए।
कलेक्टर ने एसडीएम के नेतृत्व में बनाई टीमें
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने एसडीएम के नेतृत्व में टीमें बनाई हैं। कोलार में एसडीएम क्षितिज शर्मा के नेतृत्व में कार्रवाई शुरू की गई। इस दौरान कई बसें जांची गईं। कुछ में खामियां सामने आई हैं। जिसकी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी।
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने एसडीएम के नेतृत्व में टीमें बनाई हैं। कोलार में एसडीएम क्षितिज शर्मा के नेतृत्व में कार्रवाई शुरू की गई। इस दौरान कई बसें जांची गईं। कुछ में खामियां सामने आई हैं। जिसकी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी।
ड्राइवर-कंडक्टर, केयर टेकर का डाटा लेगी पुलिस
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने बताया, स्कूल बसों के ड्राइवर-कंडक्टर, केयर टेकर का पुलिस नए सिरे से डाटा तैयार करेगी। उनका वेरीफिकेशन किया जाएगा कि कोई कर्मचारी का आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है। उन्होंने बताया, चार-पांच साल से डाटा तैयार नहीं किया गया है। स्कूल बसों की चेकिंग के दौरान हमारा मुख्य फोकस रहेगा कि बच्चे परेशान नहीं हों।
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने बताया, स्कूल बसों के ड्राइवर-कंडक्टर, केयर टेकर का पुलिस नए सिरे से डाटा तैयार करेगी। उनका वेरीफिकेशन किया जाएगा कि कोई कर्मचारी का आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है। उन्होंने बताया, चार-पांच साल से डाटा तैयार नहीं किया गया है। स्कूल बसों की चेकिंग के दौरान हमारा मुख्य फोकस रहेगा कि बच्चे परेशान नहीं हों।
स्कूल बसों के लिए यह जरूरी
डीसीपी ट्रैफिक सिंह ने बताया, गाइडलाइन के अनुसार स्कूल बसों में जरूरी संसाधन होने चाहिए। उसके मुताबिक ही बसों का संचालन किया जा सकता है। चेकिंग के दौरान बिंदुवार जानकारी ली जा रही है। बसों के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। यदि बस किराए की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा स्कूल बस लिखा जाए। विद्यालय/कॉलेज के लिये उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाए जाएं।
डीसीपी ट्रैफिक सिंह ने बताया, गाइडलाइन के अनुसार स्कूल बसों में जरूरी संसाधन होने चाहिए। उसके मुताबिक ही बसों का संचालन किया जा सकता है। चेकिंग के दौरान बिंदुवार जानकारी ली जा रही है। बसों के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। यदि बस किराए की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा स्कूल बस लिखा जाए। विद्यालय/कॉलेज के लिये उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाए जाएं।
प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से फर्स्ट ऐड बॉक्स की व्यवस्था हो। बस की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां अनिवार्य रूप से फिट करवाई जाएं। प्रत्येक बस में बाग बुझाने के उपकरण हो।
बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर भी लिखा हो। बच्चों के बस्ते रखने के लिए सीटों के नीचे जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए। बच्चों को लाते-ले जाते समय एक शिक्षक की व्यवस्था रहे जो बच्चों को एस्कॉर्ट करें। सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों के माता-पिता या स्कूल के शिक्षक को भी बस में यात्रा कर सुरक्षा मापदंडों को जांचना चाहिए। वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
यदि कोई ड्राइवर वर्ष में दो बार से अधिक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे लाल सिग्नल को जम्प करना लेन नियम का पालन नहीं करना एवं अनाधिकृत व्यक्ति से वाहन चलवाने का दोषी पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्राइवर नहीं रखना चाहिए।
यदि कोई ड्राइवर वर्ष में एक बार भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे ओवर स्पीड, नशे में वाहन चलाना या खतरनाक तरीके से वाहन चलाने का दोषी पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्राइवर नहीं रखना चाहिए। स्कूल बसों एवं लोक परिवहन वाहनों में स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता। स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से चालू स्थिति में हों। एक कैमरा आगे और दूसरा कैमरे पीछे की ओर रहना चाहिए। स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य रूप से चालू हालत में लगा हुआ होना चाहिए।
स्कूल बस में सफर करने वाले छात्र/छात्राओं की सूची मय नाम/पता, ब्लड ग्रुप एवं बस स्टॉप जहां से छात्र/छात्राओं को पिकअप एवं ड्रॉप करते हैं, की सूची चालक अपने पास रखेगा।