होली पर जनता को महंगाई का रंग : तेल, देसी घी, गेहूं, आटा, दाल सब हुए महंगे

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sadbhawnapaati
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भोपाल। कहने को तो रूस-यूक्रेन युद्ध का सबसे अधिक असर खाद्य तेलों पर हो रहा है लेकिन दूसरे खाद्य पदार्थों पर भी महंगाई बढ़ती दिख रही है। एक ओर होली का त्योहार नजदीक है और दूसरी ओर महंगाई के आटा, दाल के बढ़ते दामों ने होली के रंग में भंग डाल दिया है।
अचानक बढ़ गई महंगाई ने गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के घर का बजट तो बिगाड़ ही दिया है साथ ही उन्हें खरीदारी करने के लिए भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। दिसंबर 2021 से पहले तक लोकमन गेहूं के दाम 1850-15900 रुपए प्रति क्विंटल थे, जो अब बढ़कर 2150 2200 रुपए प्रति क्विंटल पर जा पहुंचे हैं।
युक्रेन-रूस युद्ध का असर खाद्य तेल सहित दूसरे खाद्य पदार्थों पर भी देखने को मिल रहा है। होली के त्योहार पर खड़ पदार्थों के दाम बढऩे से खरीदारी करने आने वालों को परेशानी तो हो रही है। खाद्य तेली के थोक कारोवारी अनिल पंजवानी ने बताया कि होली के बाद खाद्य तेलों के दामों में 10 रुपए किलो की तेजी और भी संभव है।

20 रुपए किलों महंगा हुआ नमकीन

होली के पर्व पर नमकीन खाने-खिलाने का खास चलन है पर नमकीन बनाने में लगने वाले खाद्य तेल और चना दाल के दाम बढऩे का असर नमकीन पर भी पड़ा है। शहर के नमकीन कारोबारियों ने नमकीन पर 20 रुपए किलो की बढ़ोतरी कर दी है। नमकीन कारोबारियों ने बताया कि तेल और दालों के महंगा होने के कारण दाम बढ़ाना पड़ गए हैं।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।