इंदौर जिला कलेक्टर का कल का आदेश पढकर ऐसा लगता है कि सरकार स्वयं के राजस्व खातिर नियमों को शिथिलता दे सकती है.अब जिला पंजीयक दफ्तर खुले रहेंगे से तात्पर्य जिला पंजीयक के अधीन उप पंजीयक दफ्तर आते है तो क्या उपपंजीयक दफ्तर भी खुले रहेंगे. अगर हाँ तो सरकार की नियत साफतौर से समझी जा सकती है | कोरोना संक्रमित व्यक्ति जहां ज्यादा भयावह रूप दे सकता है वह खुला रहे.अभी ढक्कन वाले कुएं पर दो उप पंजीयक संक्रमित होकर उपचाररत है. एम. ओ.जी. लाइन दफ्तर एक उप पंजीयक भी संक्रमित हो उपचाररत है | इनके पहले भी कुछ चपेट में आये |
कुछ वकील भी और सेवा प्रदाता भी कुछ तो काल कल्वित भी हुऐ है|
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सवाल यह कि अभी जीवन बचाना महत्वपूर्ण या राजस्व ? उप पंजीयक दफ्तर खुलना मतलब रजिस्ट्री होना मतलब सरकारी दफ्तर जरिये आवाजाही से कोरोना फैलाएँगे । मप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया पैनलिस्ट एडवोकेट पी.कुमार व्दिवेदी ने आरोप लगाया है कि मप्र की शिवराज सिंह सरकार के लिए जनता राजस्व देने खातिर है “राजस्व के लिए जनता,जनता खातिर राजस्व” वाक्य तिलांजलि पा चुका |
शराब दुकानों को छूट.अब यह आखिरकार सरकार और अधिकारी बता चुके सरकार की मंशा आम आदमी मौलिक अधिकारों से भले बंचित रहे.मन भी शांति व धार्मिक आस्था के स्थल के बंद होने. नवीन साल के आगमन, नवरात्रि, बैसाखी, बाबा अम्बेडकर जयंती, आदि न मनाएं पर सरकारी राजस्व देने जरूर आये।
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