इंदौर. शहर में यातायात की दृष्टि से सबसे ज्यादा भार बीआरटीएस पर वाहनों का रहता है। ऐसे में बारिश के दौरान उक्त मार्ग पर करीब 50 से अधिक जगह जलजमाव के कारण लोगों को बस लेन से निकलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बारिश थमने के बाद निगम यहां निकासी के लिए कोई पहल नहीं करता है।
बीआरटीएस पर इंदिरा प्रतिमा के सामने, प्रतिमा के पीछे, जीपीओ चौराहा, गीता भवन चौराहा, पलासिया, इंडस्ट्री हाउस, एलआईजी चौराहा, चन्द्रनगर चौराहा, विजयनगर चौराहा आदि जगह बारिश के दौरान जल जमाव के कारण तालाब जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। निगम के जनकार्य विभाग द्वारा जल एवं ड्रेनेज यंत्रालय के मार्फत बीआरटीएस पर जहां भी जल जमाव की स्थिति निर्मित होती है, वहां पर निकासी के लिए बारिश थमने के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जबकि जल जमाव के दौरान समस्या उत्पन्न होने से संबंधित प्रचार प्रसार तेजी से होता है, फिर भी निगम अधिकारी नजरअंदाज करते हैं।
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300 करोड़ का नाला टैपिंग प्रोजेक्ट, नतीजा कुछ नहीं निकल रहा
नगर निगम द्वारा की गई नाला ट्रैपिंग में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। स्टॉर्म वाटर लाइन और ड्रेनेज लाइन अलग-अलग होना चाहिए, लेकिन निगम इंजीनियर और ड्रेनेज दरोगाओं ने काम बचाने के लिए स्टॉर्म वाटर लाइन को ड्रेनेज से जोड़ दिया। 50 करोड़ खर्च किए गए. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। उल्टा बारिश का पानी सड़कों के साथ घरों में भर रहा है, क्योंकि पानी की निकासी का ध्यान ही नहीं रखा। इसलिए शहर के सवा दो सौ इलाके हल्की बारिश में ही डूब जाते हैं। सवाल है कि निगम सफाई जैसा पानी निकासी का सिस्टम क्यों नहीं बना रहा है?
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