कोरोना से मौत,नगर निगम खुलते ही अपने परिजनों के मृत्यु प्रमाण पत्र में सुधार के लिए भटक रहे लोग

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sadbhawnapaati
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रेमडेसिविर और ऑक्सीजन के लिए कतार में लगा इंदौर अब एक नई लाइन में खड़ा होने काे विवश है। दो दिन से बेबसी की ये कतार नगर निगम के बाहर लग रही है। ये वे लोग हैं, जिनके परिजन कोरोना संक्रमण से अपनी जिंदगी हार गए और अब सिस्टम के आगे खुद हारते नजर आ रहे हैं।

निगम का दफ्तर खुलने के दो दिन में 200 से ज्यादा लोग वहां पहुंच चुके हैं। ज्यादातर की एक ही गुहार है, परिजन के मृत्यु प्रमाण पत्र में सुधार कर मौत का कारण कोरोना लिख दीजिए। कोई सुनने को तैयार नहीं है। कई के प्रमाण पत्र में दूसरी भी ढेराें गलतियां हैं।

लोगों का कहना है कि लंबी लाइन में लगने के बाद सुधार के लिए आवेदन किया तो कर्मचारी ने फोटोकॉपी पर ही सुधार कर दे दिया। ओरिजन मांगा तो दो दिन बाद आने का कहकर टाल दिया। उधर, भीड़ बढ़ते देख निगम अफसरों ने एक कर्मचारी को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय के बाहर ही कुर्सी लगाकर बैठा दिया है।

उसने बाहर ही आवेदन लेकर लोगों को रवाना कर दिया। हद यह भी है कि घंटों तक लाइन लगने के बाद भी निगम अफसर इसे नकारने में लगे हैं। अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर का कहना है कि मुझे दो दिन पहले ही यहां का प्रभार मिला है। इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

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कोरोना लिखने से साफ मना किया
जितेश लांडरे ने बताया मेरी दादी कमलाबाई की मौत कोरोना से हुई। 311 एप में आवेदन से मिले मृत्यु प्रमाण पत्र में सरनेम गलत लिखा है। मौत का कारण भी नहीं लिखा। सुधार के लिए आवेदन दिया तो कोरोना लिखने से साफ मना कर दिया।

बुजुर्ग बहन को लाना पड़ा
सुनील कुमार ने बताया उनकी मामी अतीबाई की मौत कोरोना से हो गई थी। सर्टिफिकेट में नाम पते सहित कई गलतियां थीं। शिकायत की तो बोले उनके नजदीकी रिश्तेदार को लाओ मजबूरी में उनकी बुजुर्ग बहन को लेकर आया।

प्रमाण पत्र; ऑनलाइन सर्टिफिकेट में हैं ढेरों गलतियां

निगम ने इंदौर 311 एप पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सुविधा देने का प्रयास किया पर इससे उलटा लोग परेशान होकर विभाग के चक्कर काट रहे हैं। किसी का नाम गलत लिख दिया गया तो किसी का पता सही नहीं था। किसी के पिता का नाम ही बदल दिया तो किसी के गांव का नाम अधूरा था। इन गलतियों को सुधरवाने के लिए भी लोग परेशान हो रहे हैं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।