इंदौर. यहां की एक कुटुंब न्यायालय ने एक ऐसे पति के बैंक अकाउंट को सीज करने के आदेश दिए हैं, जो लाखों रुपये अकाउंट में होने के बावजूद भी अपनी पत्नी को कई महीनों से भरण पोषण की राशि नहीं दे रहा था.
क्या है पूरा मामला
दरअसल यह रोचक मामला इंदौर के कुटुंब न्यायालय का है, जहां पत्नी की गुहार पर कुटुंब न्यायालय ने कॉलोनाइजर पति के बैंक अकाउंट को सीज करने के निर्देश दिए हैं.
कॉलोनाइजर पति इंदौर में कई मकान बना चुका है. उसके विवाह को 25 साल हो चुके हैं. पारिवारिक विवाद के चलते पत्नी ने पति के खिलाफ भरण पोषण के लिए एडवोकेट केपी माहेश्वरी के माध्यम से कुटुंब न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया था.
कुटुंब न्यायालय ने 2016 में इसका निराकरण करते हुए पति को आदेश दिया था कि वह हर माह अपनी पत्नी को 12 हजार रुपये भरण पोषण के रूप में पत्नी को अदा करें.
कुछ समय तक पति द्वारा भरण पोषण देने के बाद पति ने पत्नी को भरण-पोषण देना बंद कर दिया.
इससे करीब साढ़े 5 लाख रुपये भरण पोषण की राशि बकाया हो गई. अपने अकाउंट में लाखों रुपये होने के बावजूद भी पति द्वारा पत्नी को भरण पोषण की राशि नहीं देने के चलते पत्नी ने कुटुंब न्यायालय की शरण ली.
कुटुंब न्यायालय की जांच में क्या मिला
कुटुंब न्यायालय ने जांच में पाया कि पति के अकाउंट में लाखों रुपये जमा हैं. इसके बाद भी उसका पति पत्नी को प्रताड़ित करते हुए भरण पोषण की राशि नहीं दी जा रही है.
पति द्वारा कुटुंब न्यायालय में पत्नी को हर माह 15 हजार रुपये देने का आवेदन किया था. लेकिन कुटुंब न्यालय ने उसे खारिज करते हुए पति के बैंक अकाउंट को सीज करने के निर्देश दिए हैं.
एडवोकेट केपी माहेश्वरी ने बताया कि पारिवारिक विवाद के बाउजूद पति-पत्नी एक ही छत के नीचे ही रहते हैं. दोनों एक किचन इस्तेमाल करते हैं. तय समय पर पति अपने लिए खाना बनाता है और उसके बाद पत्नी बनाती है.
विवाद के चलते पति ने पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के चलते पत्नी को पति के फ्लैट में रहने का अधिकार मिला था.
हाईकोर्ट ने पत्नी की सुरक्षा के चलते पुलिस को निगरानी का आदेश भी दिया था. इस वजह से हर माह पुलिस द्वारा महिला की सुरक्षा के तहत जांच करने जाती है.