नवलखा स्थित मनकामेश्वर कांटाफोड़ शिव मंदिर पर देर रात तक लगी रही कतारें, आज और कल भी होंगे दर्शन
इन्दौर। नवलखा स्थित मनकामेश्वर कांटाफोड़ शिव मंदिर पर श्रावण के अंतिम सोमवार पर काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्ञानवापी शिवलिंग और उस पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते भगवान भोलेनाथ की झांकी को निहारने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
गुफा जैसे मार्ग से होकर भक्तों ने गर्भगृह में प्रवेश किया और नयनाभिराम झांकी को निहारते ही मोबाइल से सेल्फी लेने का सिलसिला भी चल पड़ा। सायं 6.30 बजे से प्रारंभ झांकी के दर्शन करने के लिए देर रात तक भक्तों का सपरिवार तांता लगा रहा। यह झांकी 10 अगस्त तक आम भक्तों के लिए खुली रहेगी।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विष्णु बिंदल, संयोजक बी.के. गोयल एवं अजय खंडेलवाल ने बताया कि कोलकाता से आए 12 कलाकारों ने पिछले 15 दिनों की अथक मेहनत से यह झांकी तैयार की है। इन सभी कलाकारों ने झांकी के प्रत्येक हिस्से को अपने हाथों से आकार दिया है।
झांकी के निर्माण में कपड़े, थर्माकोल, रूई, बर्फ, ईंट, लकड़ी, जूट एवं अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है। ज्ञानवापी शिवलिंग के दर्शन भक्तों ने उस कुए में किए, जो ईंटों से बना है और काशी के मंदिर परिसर में कई दिनों तक लुप्त रहा है। मंदिर परिसर स्थित सभी देवालयों में रूई के ऊपर सितारों और फूलों का प्रयोग किया गया है।
झांकी सायं 6.30 बजे से शुरू होना थी, लेकिन भक्तों का उत्साह इतनी अधिक था कि 5 बजे से ही कतारें लगना शुरू हो गई थी। भक्तों की सुविधा के लिए महिला-पुरुषों की पृथक-पृथक कतारें लगातार बनी रही।
विधायक आकाश विजयवर्गीय के आतिथ्य में आरती के बाद झांकी का प्रदर्शन आम भक्तों के लिए खोल दिया गया। यातायात एवं अन्य व्यवस्थाएं संभालने के लिए मंदिर समिति की ओर से 25 कार्यकर्ता तैनात किए गए थे।
मंदिर ट्रस्ट के विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी, सुभाष बजरंग, प्रहलाद दादा अग्रवाल सहित अनेक विशिष्टजनों ने भी झांकी के दर्शन किए। मंगलवार एवं बुधवार को भी यह झांकी भक्तों के दर्शनार्थ सायं 7.30 बजे से खुली रहेगी।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बंगाल से आए ये कलाकार अब तक देश में डेढ़ हजार से अधिक मंदिरों में अपनी कलाकृतियां बना चुके हैं। इनके कप्तान जया बंगाली पिछले 19 वर्षों से कांटाफोड़ मंदिर की सेवा में इन्दौर आ रहे हैं।