Religious News. आषाढ़ माह का विशेष महत्व होता है, इसी माह में वर्षा ऋतु शुरू होती है और आषाढ़ मास में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।
इस माह में पड़ने वाले एकादशी के व्रत और प्रदोष तथा मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही गुप्त नवरात्रि को विशेष स्थान दिया गया है। आषाढ़ में योगिनी एकादशी का व्रत और देवशयनी एकादशी का व्रत उत्तम बताया गया है।
आषाढ़ मास में ही 10 जुलाई से चातुर्मास का आरंभ होगा। चातुर्मास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। चातुर्मास का प्रथम मास श्रावण का माना गया है।
इसे सावन का महीना भी कहा जाता है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। आषाढ़ माह को ध्यान, योग और अध्ययन के लिए उत्तम माना गया है।
देवशयनी एकादशी पूजा विधि
देवशयनी एकादशी का व्रत करने के लिए उस दिन आप सुबह-सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब ईशान कोण में लाल सूती कपड़े पर भगवान विष्णु की मूर्ती रखें।
अब भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्ति पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें तिलक लगाएं।
अब भगवान की तस्वीर पर फूल और खीर चढ़ाएं।
अब दीप जलाकर भगवान विष्णु का आवाह्न करते हुए उनकी आरती गाएं।
पूजा हो जाने पर प्रसाद वितरण करें।
उस दिन सात्विक भोजन ही करें। बचे भोजन को उस दिन घर के दक्षिण कोने में फेंक दें। इस तरीके से देवशयनी एकादशी का व्रत करने से पाप और कर्मों से मुक्ति मिलती हैं।
इस दिन भगवान विष्णु का जाप मंत्र जरूर करें।
व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में मांधाता नगर में एक चक्रवर्ती सम्राट राज्य करता था। एक बार उसके राज्य में तीन वर्ष तक का सूखा पड़ गया। प्रजा में चारों तरफ हाहाकार मच गया।
राजा के दरबार में सभी प्रजाजन पहुंचे और राजा से दुहाई लगाई। यह देखकर राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हे प्रभु कहीं मुझसे कोई बुरा काम तो नहीं हो गया है। अपने दुख का हल ढूंढने के लिए राजा जंगल में अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचा।
तब अंगिरा ऋषि ने राजा से आने का कारण पूछा। राजा ने करबद्ध होकर ऋषि से प्रार्थनाकरते हुए कहा ‘हे’ ऋषिवर मैंने सब प्रकार से धर्म का पालन किया है, फिर भी मेरे राज्य में तीन वर्षों से सूखा पड़ा हुआ है।
इस बार प्रजा के सब्र का बांध टूट चुका है और उनका दुख मुझसे सहन नहीं जा रहा है। कृपा कर के आप मुझे इस विपत्ति से बाहर निकलने का कोई मार्ग बताएं। तब ऋषि ने कहा कि राजन् तुम आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करों।
इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। इस व्रत को करने से उनकी कृपा से वर्षा अवश्य होगी। यह सुनकर राजा अपने राज्य की तरफ लौट आया। आने के बाद आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को राजा ने देवशयनी एकादशी व्रत रखा।
व्रत के प्रभाव से राज्य में मूसलाधार वर्षा हुई और चारों ओर खुशियां छा गई।
देवशयनी एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु के इस पावन व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु का व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।