धनतेरस का मतलब महत्त्व.
कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें की धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था. भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस दिन पर बर्तन खरीदने की परम्परा है. इस दिन लोग सोना चांदी आदि चीज़ें भी खरीदते है.
धनतेरस की तिथि शुभ मुहूर्त.
धनतेरस का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जायेगा वहीं इसके दो दिन बाद दीपावली मनाई जाएगी. इस साल त्रयोदशी तिथि 02 नवंबर को सुबह 11 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 03 नवंबर को सुबह 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगी. इस साल धनतेरस का पूजन 02 नवंबर, दिन मंगलवार को किया जाएगा. इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल शाम 05:35 से 08:14 तक तथा वृषभ काल शाम 06:18 से 08:14 तक रहेगा.
धनतेरस पूजा विधि.
मां लक्ष्मी व गणेश की भी प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करनी चाहिए साथ ही धनतेरस पर शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर कुबेर धनवंतरि की स्थापना करें, अब दीप जला कर विधिवत पूजा शुरू करें. तिलक करने के बाद फल , फूल, तिलक आदि चीज़ें चढ़ाएं. अब कुबेर देवता को सफेद मिठाई का भोग लगाएं. धनवंतरि देव को पीले मिठाई का भोग लगाएं. पूजन के दौरान ऊं ह्रीं कुबेराय नमः इस मंत्र का जाप करते रहें. भगवान धनवंतरि को प्रसन्न करने के लिए इस दिन धनवंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.