मत काटो पेड़ों को तुम – डॉ. दिलीप वागेला

Rajendra Singh
By
Rajendra Singh
पर्यावरण संरक्षण एवं जैविक खेती के प्रति प्रशिक्षण
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मत काटो पेड़ों को तुम,
ये हैं धरा के प्राण,
हर शाख़ में जीवन बसता है,
हर पत्ता है वरदान।

छाया देते धूप में ये,
फल-फूलों से भरते झोली,
पंछी गाते गीत यहां पर,
बगिया बनती है रंगोली।

जड़ से नदियाँ झरती हैं,
बूंद-बूंद में जीवन बसता,
सूखे पत्ते भी सिखलाते,
वक़्त के संग सब बदलता।

हरियाली की चादर ओढ़े,
धरती हँसती, मुस्काती है,
पेड़ नहीं तो सांस नहीं,
ये बात सभी को भाती है।

तो आओ सब प्रण लें आज,
पेड़ों की रक्षा करेंगे,
हर कटते तने के बदले,
एक बीज नया रोपेंगे।

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