“शहर की सांसें मत रोकिए” — हुकुमचंद मिल सिटी फॉरेस्ट बचाने नागरिकों की हुंकार

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
2 Min Read

इंदौर के हृदय में स्थित हुकुमचंद मिल का प्राकृतिक सिटी फॉरेस्ट एक बार फिर खतरे में है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा यहां हरियाली नष्ट कर निर्माण कार्य किए जाने के प्रस्ताव का नागरिकों ने जोरदार विरोध किया।

आज शाम 5 से 6 बजे तक राजवाड़ा चौक पर बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी नागरिकों ने मानव श्रृंखला बनाकर संदेश दिया—

“पेड़ बचेंगे तो इंदौर बचेगा।”

नागरिकों ने कहा कि यह सिटी फॉरेस्ट केवल पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि हजारों पक्षियों और जीव-जंतुओं का घर है। यही क्षेत्र शहर की आबोहवा का रक्षक भी है। यदि इसे नष्ट किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ प्रदूषण और कंक्रीट का जंगल मिलेगा।

मानव श्रृंखला में डॉ. ओ. पी. जोशी, शिवाजी मोहिते, रामेश्वर गुप्ता, अजय लागू, अभय जैन, अरविंद पोरवाल, विश्वनाथ कदम, शैला शिंत्रे, संदीप खानवलकर, प्रकाश पाठक, रामस्वरूप मंत्री, प्रणीता दीक्षित, डॉ. दिलीप वागेला, डॉ. स्वप्निल व्यास, मनीष काले, प्रमोद नामदेव, डॉ. सम्यक जैन, शबाना पारेख, चन्द्रशेखर गवली, प्रकाश सोनी, शशिकांत, जावेद आलम, रुद्रपाल यादव, आराध्य दीक्षित, आशीष राय, डॉ. सृष्टि सराफ सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

सभी ने प्रशासन से मांग की कि हुकुमचंद मिल सिटी फॉरेस्ट को स्थायी रूप से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए और यहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तुरंत रोका जाए।

नागरिकों का स्पष्ट संदेश था—
“हमें फ्लैट नहीं, हमें ऑक्सीजन चाहिए।

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।