“शहर की सांसें मत रोकिए” — हुकुमचंद मिल सिटी फॉरेस्ट बचाने नागरिकों की हुंकार

Rajendra Singh
By
Rajendra Singh
पर्यावरण संरक्षण एवं जैविक खेती के प्रति प्रशिक्षण
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इंदौर के हृदय में स्थित हुकुमचंद मिल का प्राकृतिक सिटी फॉरेस्ट एक बार फिर खतरे में है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा यहां हरियाली नष्ट कर निर्माण कार्य किए जाने के प्रस्ताव का नागरिकों ने जोरदार विरोध किया।

आज शाम 5 से 6 बजे तक राजवाड़ा चौक पर बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी नागरिकों ने मानव श्रृंखला बनाकर संदेश दिया—

“पेड़ बचेंगे तो इंदौर बचेगा।”

नागरिकों ने कहा कि यह सिटी फॉरेस्ट केवल पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि हजारों पक्षियों और जीव-जंतुओं का घर है। यही क्षेत्र शहर की आबोहवा का रक्षक भी है। यदि इसे नष्ट किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ प्रदूषण और कंक्रीट का जंगल मिलेगा।

मानव श्रृंखला में डॉ. ओ. पी. जोशी, शिवाजी मोहिते, रामेश्वर गुप्ता, अजय लागू, अभय जैन, अरविंद पोरवाल, विश्वनाथ कदम, शैला शिंत्रे, संदीप खानवलकर, प्रकाश पाठक, रामस्वरूप मंत्री, प्रणीता दीक्षित, डॉ. दिलीप वागेला, डॉ. स्वप्निल व्यास, मनीष काले, प्रमोद नामदेव, डॉ. सम्यक जैन, शबाना पारेख, चन्द्रशेखर गवली, प्रकाश सोनी, शशिकांत, जावेद आलम, रुद्रपाल यादव, आराध्य दीक्षित, आशीष राय, डॉ. सृष्टि सराफ सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

सभी ने प्रशासन से मांग की कि हुकुमचंद मिल सिटी फॉरेस्ट को स्थायी रूप से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए और यहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तुरंत रोका जाए।

नागरिकों का स्पष्ट संदेश था—
“हमें फ्लैट नहीं, हमें ऑक्सीजन चाहिए।

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