ठेकेदारों को इंदौर नगर निगम से 350 करोड़ से अधिक लेना बकाया.

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Indore Nagar Nigam News. नगर निगम में पहले 735 से अधिक ठेकेदारों का रजिस्ट्रेशन था। अफसरों के रवैये के चलते अब 450 के आसपास ठेकेदार निगम में काम कर रहे हैं। अभी की स्थिति में अधिकतर प्रोजेक्ट अलग-अलग वार्ड में बंद पड़े हैं। वजह ठेकेदारों को नगर निगम से 350 करोड़ से अधिक बकाया लेना है।

नगर निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। यह कहकर ठेकेदारों को टरका दिया जाता है और सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिलने के कारण 350 करोड़ से अधिक की राशि ठेकेदारों की निगम पर बकाया है। जनकार्य विभाग, जल यंत्रालय, स्मार्ट सिटी से लेकर उद्यान विभाग, ब्रिज से विभाग के अधीन चलने वाले कई प्रोजेक्ट बंद पड़े हुए है। कुलकर्णी भट्टे पुत्त का काम भी इसी वजह से बंद है तो चिड़ियाघर में भी कई अधूरे काम छोड़कर ठेकेदार कंपनी ने काम ही बंद कर दिया है। प्रदेश सरकार की ओर से राशि बराबर नहीं मिल रही है तो निगम द्वारा लगातार जो राशि रहती उसे सफाई में खर्च कर दिया जाता है और रंग रोगन में खर्च कर दिया गया, जबकि दिल्ली से कोई सर्वे टीम नहीं आई और फिर से पंच लगाने के लिए विभिन्न काम करोड़ों के कर दिए कि ठेकेदारों को भुगतान नहीं हो रहा है। शहर के अलग- अलग वार्ड में आज भी काम अधूरे पड़े हुए हैं जो पूरी तरह से बंद हो गए हैं और ठेकेदार करने को तैयार नहीं है शहर के मुक्तिधामों में भी यही स्थिति है

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जहां पर काम अधूरे हैं और ठेकेदार कंपनी भुगतान नहीं मिलने के कारण काम नहीं कर रहे हैं। नगर निगम में काम करने वाले कई ऐसे ठेकेदार हैं जिनमें से पप्पू भाटिया का आज भी 10 करोड़ से अधिक बकाया, चंद्रभान ठेकेदार जिनके 5 करोड़ से अधिक बकाया • सोनू ससृजा जिनसे 15 करोड़ से अधिक बकाया, विक्की दुबे जिनके 3 करोड़ रुपए से अधिक बकाया तो ऐसे कई ठेकेदार हैं जिनसे 2 से 3 करोड़ रुपए नगर निगम में बकाया चल रहा है। निगम में ठेकेदारों को कोई यूनियन नहीं है लेकिन लगातार ठेकेदार भुगतान नहीं होने पर विरोध भी कर रहे हैं। पुराने ठेकेदारों में शामिल कमल चंद सोनी, महेंद्र चौकसे, गोलू जैन, आवेश मिश्रा, विजय कश्यप, अनिल तोतला, आनंद पंडित, विक्की दुबे, संजय शर्मा के साथ कई ऐसे ठेकेदार है जो भुगतान नहीं मिलने के कारण लगातार विरोध कर रहे हैं परंतु भुगतान बराबर नहीं हो रहा है|

अपर आयुक्त वित्त वीरभद शर्मा का कहना है कि तकरीबन 350 करोड़ रुपए आज भी ठेकेदारों को भुगतान करना है। हम लोग कुल राशि में से प्रतिशत के अनुसार भुगतान कर भी रहे हैं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।