Education News – आईसीसीआर का पोर्टल अप्रैल में लॉन्च: भारतीय संस्कृति से जुड़े शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कोर्स होंगे शुरू

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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आईसीसीआर विश्व समुदाय के बीच पारंपरिक भारतीय ज्ञान, कला, वास्तुकला, कालातीत महाकाव्यों और वेदों का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से, जल्द ही नए ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेगी। इसके लिए एक अलग पोर्टल दो अप्रैल तक लॉन्च होने की संभावना है।
Education News. भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद यानी आईसीसीआर की नई पहल के तहत जल्द ही भारतीय महाकाव्य, वेद, कला और विरासत पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाएगी।
आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि आईसीसीआर विश्व समुदाय के बीच पारंपरिक भारतीय ज्ञान, कला, वास्तुकला, कालातीत महाकाव्यों और वेदों का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से, जल्द ही नए ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेगी। इसके लिए एक अलग पोर्टल दो अप्रैल तक लॉन्च होने की संभावना है।

पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली का वैश्वीकरण

राज्यसभा सांसद सहस्रबुद्धे ने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत चल रहे समारोहों के दौरान हम पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली का वैश्वीकरण कार्य शुरू करने जा रहे हैं।
इसके तहत विदेशों में रहने वाले लोग ऑनलाइन माध्यम से हमारे देश के पारंपरिक ज्ञान, कला और संस्कृति के बारे में जान सकेंगे। ये ऑनलाइन पाठ्यक्रम महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों के संदेशों को प्रसारित करेंगे और हमारी कला और संस्कृति को बढ़ावा देंगे।

रसगुल्ले बनाने से लेकर मधुबनी कला के सिद्धांत

सहस्रबुद्धे ने कहा कि पोर्टल पर भारतीय संस्कृति के बारे में सब कुछ जानकारी होगी। इस पर चार घंटे से लेकर 40 घंटे तक के अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे।
इनमें रसगुल्ले बनाने के नुस्खे से लेकर वर्ली पेंटिंग, मधुबनी कला के मूल सिद्धांत, अजंता और एलोरा की गुफाओं कला, वेदों के मूल बातें एवं उपदेश, रामायण और महाभारत का परिचय, बाबासाहेब आंबेडकर का जीवन परिचय समेत अन्य विषयों की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

पुणे विश्वविद्यालय को बनाया अकादमिक भागीदार

आईसीसीआर के अध्यक्ष सहस्रबुद्धे ने कहा कि इस कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय को बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अन्य संस्थान भी बाद में इसमें शामिल हो सकते हैं।
यह स्थायी पाठ्यक्रम सभी के लिए खुला है, और उम्र या किसी अन्य चीज पर कोई रोक नहीं होगी और, इसके लिए शुल्क भी बहुत मामूली होगा।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।