Education News – क्यों बड़ों की जगह दो माह में खुल सकते हैं बच्चों के स्कूल, एक्सपर्ट से जानिए वजह ?

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Education News.मार्च 2020 से बच्चे घरों में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. अब जब कोरोना की दूसरी लहर का असर काफी कम होता द‍िख रहा है. आईसीएमआर समेत एम्स डायरेक्टर और पब्लिक हेल्थ पॉलिसी एक्सपर्ट तक सभी स्कूल खोलने की बात कर रहे हैं. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि आने वाले दो महीनों के भीतर देशभर के प्री प्राइमरी, प्राइमरी और मिडिल स्कूल खोल दिए जाएंगे. आइए इसके पीछे एक्सपर्ट के तर्क जानते हैं. WHO के पब्ल‍िक हेल्थ पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ चंद्र प्रकाश लहरिया इसके पीछे कई तर्क देते हैं.

डॉ डहरिया ने कहा कि दुनिया के 170 देशों के स्कूल आंश‍िक या पूर्ण रूप से खुले हैं, सिर्फ भारत में कोविड की तीसरी लहर के खतरों को देखते हुए स्कूल बंद हैं, जिससे बच्चों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है. डॉ लहरिया इसके पीछे ग्लोबल स्टडी का हवाला देते हुए कहते हैं कि पूरी दुनिया से मिले आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि सामान्य सीजनल फ्लू से जितना बच्चों को खतरा होता है, बच्चों को कोविड 19 की गंभीर बीमारी होने का खतरा होता है, उसकी तुलना में आधा है.  वो कहते हैं कि आईसीएमआर का जो डाटा आया है, वो भी इस बात की गवाही देता है कि भारत में 60 परसेंट से ज्यादा लोगों को कोविड 19 संक्रमण हो चुका है. इसमें 50 से 55 प्रतिशत बच्चे भी शामिल हैं.

स्कूल खोलने के पीछे तर्कों में डॉ लहरिया उन ग्लोबल एविडेंस का हवाला भी देते है जिसमें सामने आया है कि 10 साल तक के बच्चों में गंभीर कोविड संक्रमण के लक्षणों के कारण भर्ती कराने के मामले बड़ों की तुलना में नगण्य हैं. अगर भारत की बात करें तो यहां कुल जनसंख्या में बच्चों का प्रतिशत 18 से 20 प्रतिशत है. लेकिन सरकार का डेटा बताता है कि इसमें से तीन परसेंट भर्ती होते है. वहीं 11 से 18 साल में भी गंभीर संक्रमण के लक्षण इसी अनुपात में देखे गए. कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि स्कूल न खुलने से बच्चों की ओवरऑल लाइफ की लर्निंग दोगुनी स्पीड से पीछे चली जाती है. इस तरह से देखा जाए तो 16 महीने के दौरान लाइफ लर्निंग 32 महीने पीछे हो गई है. डॉ लहरिया सलाह देते हैं कि इसके लिए जरूरी है कि सरकार वो सारे कदम उठाए जो स्कूल खोलने के लिए संभव हो. इसके लिए माता पिता के सामने च्वाइस होनी चाहिए. हमें ये भी सोचना होगा कि कहीं कोरोना के डर से आप बच्चों का नुकसान तो नहीं कर रहे क्योंकि सेहत के साथ साथ शिक्षा भी बेहद जरूरी है.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।