डॉ. गोपालदास नायक, खंडवा
नवरात्रि का आठवाँ दिन माँ महागौरी की साधना को समर्पित है। उनका स्वरूप सौंदर्य, पवित्रता और करुणा का प्रतीक है। माँ महागौरी का बीज मंत्र है—
ॐ महागौर्यै नमः॥
(अर्थात— हे माँ महागौरी, आपको नमन है। आप श्वेत वर्ण में प्रकाशित होकर पवित्रता, शांति और कल्याण की अधिष्ठात्री हैं।) इस मंत्र का जाप साधक को मन की शुद्धि, आत्मबल और शांति प्रदान करता है।
दार्शनिक दृष्टि से माँ महागौरी हमें यह सिखाती हैं कि जीवन का वास्तविक सौंदर्य बाहरी रूप में नहीं, बल्कि भीतर की पवित्रता और निर्मलता में है। वे याद दिलाती हैं कि जब मन शुद्ध और विचार सकारात्मक होते हैं, तभी जीवन में संतोष और समृद्धि का संचार होता है।
वर्तमान सामाजिक परिवेश में यह संदेश अत्यंत प्रासंगिक है। आज की दुनिया दिखावे और भौतिकता में उलझी हुई है। लोग बाहरी आकर्षण को महत्व देते हैं, लेकिन भीतर की शांति और पवित्रता की अनदेखी कर देते हैं। परिणामस्वरूप तनाव, असंतोष और असंतुलन बढ़ रहा है। माँ महागौरी का यह स्वरूप हमें प्रेरित करता है कि हम जीवन में सरलता, करुणा और सच्चाई को अपनाएँ। यदि परिवार और समाज के स्तर पर लोग ईमानदारी, पारदर्शिता और पवित्र आचरण को महत्व दें तो अनेक समस्याएँ स्वतः दूर हो सकती हैं।
नवरात्रि का आठवाँ दिन हमें यह स्मरण कराता है कि वास्तविक शक्ति भीतर की शुद्धता में है। माँ महागौरी का संदेश है— निर्मल बनो, करुणामय बनो, और समाज को प्रकाशमय बनाओ।