खजराना थाने की भूमिका भी संदिग्ध
Indore News in Hindi। कुख्यात जमीन के जालसाज दीपक जैन उर्फ मद्दा उर्फ दिलीप सिसोदिया के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने 4.89 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने मद्दा से पूछताछ की तो उसने कई राज उगलना शुरू कर दिए। सरकार के दो मंत्री और संगठन के एक बड़े नेता के मदद करने की बात भी कही। मजेदार बात ये है कि ये सुनकर पुलिस अफसरों के भी हाथ-पैर फूल गए हैं। इधर, पुलिस आज कोर्ट से रिमांड भी मांगेगी।
गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों की खरीद-फरोख्त के मामले में आधा दर्जन से अधिक मुकदमों में अग्रिम जमानत कराके पुलिस को धता बताने वाला कुख्यात जमीन के जालसाज दीपक मद्दा पहली बार सही ढंग से शिकंजे में फंस गया है। सहकारिता विभाग के ऑडिटर सुरेश भंडारी की रिपोर्ट पर कल्पतरू गृह निर्माण संस्था के पदाधिकारियों से मिलकर 4.89 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। मद्दा पर ये आठवां मुकदमा कायम हुआ।
मद्दा को प्रकरण दर्ज होने की भनक भी नहीं थी। वो तो खजराना थाने पर बयान देने पहुंचा था। उस बीच क्राइम ब्रांच ने पहुंचकर गिरफ्तार कर लिया। जैसे ही उसे पकड़ा गया तब उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो गया? लाने के बाद उससे पूछताछ शुरू की जिस पर मद्दा ने तोते की तरह कई राज उगलना शुरू कर दिए। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि मुकदमा दर्ज हो गया है। उसने पूछताछ में प्रदेश सरकार के दो काबिना मंत्रियों के साथ संगठन के एक बड़े नेता का नाम भी बताया जो उसकी दो साल से किसी न किसी रूप में मदद कर रहे हैं।
ये सुनकर पुलिस के भी हाथ-पैर फूल गए हैं, क्योंकि उनका जिक्र वे प्रकरण ने नहीं कर सकते हैं। मद्दा को विश्वास था कि उनके दबाव की वजह से पुलिस उसका कुछ नहीं कर पाएगी बाकी का काम उसकी लीगल टीम कर लेगी। इनके अलावा इंदौर के एक विधायक और जमीन के एक बड़े कारोबारी का भी नाम ले रहा है जिसके संरक्षण में वह काम करता रहा है। इधर, पुलिस के अधिकारी भी सकते में हैं कि उन्हें लगा था मद्दा पक्का खिलाड़ी है, लेकिन जरा सी सख्ती में वह सब कुछ बताने लग गया। पुलिस की निगाह अब आने वाले फोन पर टिकी हुई है जिससे मद्दा की बातों की पुष्टि हो जाएगी।
छका रहा था पुलिस को
रासूका के मामले में हाई कोर्ट ने मद्दा को सशर्त राहत दी थी। मद्दा को पुलिस पूछताछ में सहयोग करना था, लेकिन सच्चाई ये है कि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। जेल से छूटने के बाद पुलिस ने उसे बुलाया था जिस पर वह सहयोग न करते हुए वकीलों को लेकर पहुंच रहा था। शनिवार को पुलिस ने 37 सवाल लिखित में दिए थे ताकि वह जवाब दे सके। मद्दा वकीलों को लेकर जवाब देने पहुंचा था। जहां पर क्राइम ब्रांच ने उसे उठा लिया।
खजराना थाने की संदिग्ध भूमिका
गौरतलब है कि क्राइम ब्रांच ने मुकदमा दर्ज करने के बाद किसी को भी जानकारी नहीं दी थी। खजराना थाने की निगरानी रखी जा रही थी। उन्हें मालूम था कि जहां खजराना पुलिस से जानकारी लगी तो मद्दा को सतर्क कर दिया जाएगा। पूर्व में भी कई बार ऐसा ही हुआ जब मद्दा पर मुकदमे दर्ज हुए तब वह फरार हो गया। बाद में वह कोर्ट से अग्रिम जमानत करा लेता था। इस बार क्राइम ब्रांच ने उसे ऐसा कोई मौका नहीं दिया।सख्ती से पूछताछ में पुलिस महकमा भी अहम राज उगल सकता है.