14 दिसंबर से अधिकमास शुरू
14 दिसंबर से खरमास शुरू होने वाला है, यह 14 जनवरी को समाप्त होगा. जब से सूर्य बृहस्पति राशि में प्रवेश करता है तभी से खरमास या मलमास या अधिकमास शुरुआत होती है. मलिन मास के कारण कारण इस माह को मलमास भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में खरमास के अपने कुछ नियम बताए गए हैं. इस दौरान किसी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. किसी तरह के मांगलिक कार्य, शादी, सगाई, वधू प्रवेश, द्विरागमन, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. साथ ही विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं करे जाते हैं।
खरमास के खास नियम
खरमास ऐसा महिना है, जो दान पुण्य का सर्वाधिक फल देने वाला है. इस माह में आप जितने जरूरतमंदों गरीबों की मदद करेंगे, उतना लाभ मिलेगा. इस माह सेहत समृद्धि के लिए हर रोज रोज सूर्य को जल चढ़ाने का नियम बनाएं. सूर्योदय से पहले उठकर नहा लें चढ़ते सूरज को अर्घ्य दें. इससे मनोवांछित फल मिलता है. खरमास के माह में गोसेवा का विशेष महत्व माना जाता है. इसलिए गायों को गुड़-हरा चना खिलाया जाना चाहिए. संभव न हो तो घर में गाय की मूर्ति या तस्वीर भी लगाएं. पूरे माह गाय की पूजा जरूर करनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं।
खरमास में ये ध्यान रखें
1. अति अहम कार्यों में विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन, तिलकोत्सव करने से अशुभ फल का संकेत मिलता है.
2. खरमास में चारपाई त्यागकर जमीन पर सोना होता है. इससे सूर्यदेव की कृपा बनी रहती है।
3. खरमास में थाली छोड़कर पत्तल में भोजन करने से शुभ फल की प्राप्ती होती है.
4. इस माह लोगों को किसी तरह का लड़ाई-झगड़ा करने से दूर रहना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए.
5. ऐसी मान्यता है कि खरमास के दौरान मांस-मदिरा आदि का सेवन अशुभ होता है.
6. खरमास में भगवान विष्णु की पूजा बहुत लाभकारी माना जाता है. मां लक्ष्मी की कृपा होती है.
7. तुलसी पूजा होनी चाहिए. तुलसी पौधे पर घी दीपक जलाएं.

 
			 
				 
			 
                                
                             
 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		