पत्रकार अरुण उईके देवास
देवास । देवास जिले की ग्राम पंचायत बहिरवद, पिपलियानानकार, मुरझाल गुडबेल, गोलागुठान , दुदवास,आमला, सहित कई दर्जनों गांवों में केंद्र सरकार की बहुप्रचारित नल-जल योजना अब घरों मे ना-जल ना-नल भ्रष्टाचार की योजना बन चुकी है। सरकार के रिकॉर्ड में योजनाएं 100% पूरी दिखा दी गईं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही बया कर रही है।
गांवों में आज तक न तो नल में पानी आया, न टंकी चालू हुई। तो कही तो ठेकेदारों ने आधा-अधूरा काम किया इतना ही नही पीएचई विभाग के अधिकारियों व इंजीनियरों ने मिलकर योजनाओं को फर्जी तरीके से “पूर्ण” घोषित कर दिया। करेंगे भी क्योकि पत्रकारों को तो इन लोगो ने खरीद लिया है ख़बर चलाने का पैसा दिया ये हम नही खुद पीएचई विभाग की उपयंत्री छाया दुबे और खातेगाँव उपयंत्री नवनीत मेंढा कह रहे है इतना ही यह ये आधिकारी वीडियो मे यह भी कह रहे है कि घोटाला तो हुआ है जिनकी कुछ दिनो पहले शोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हुआ है।
गांव की गलियों में न नल फिटिंग हुई और न ही पाइपलाइन सही गहराई में डाली गई। तीन फीट की खुदाई की जगह केवल डेढ़ फीट की मिट्टी खोदी गई, जिससे पाइप उखड़ गए है तो कही टूट गए है । कई जगह तो गांवों की सड़कों को भी नुकसान पहुंचाया है लेकिन उनकी मरम्मत तक नहीं की ! ग्रामीण आज भी दूर कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं। महिलाएं और बच्चे पानी के लिए रोज़ाना संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अफसर और ठेकेदार फाइलों में विकास के झूठे पुल बाँध रहे हैं।
कुछ पंचायतो के सरपंचों का आरोप है कि दबाव बनाकर अधूरी टंकी पंचायत को हैंडओवर करवाई गई।
एक सरपंच ने कहा, “हमें बताया तक नहीं गया कि टंकी में कितना काम बाकी है। PHE अधिकारी, इंजीनियर और ठेकेदार की लापरवाही के कारण आज गांव वाले अपनी दूर कुएं से ला रहे हैं।
सबसे गंभीर बात यह है कि PHE विभाग के , इंजीनियर, ठेकेदार और अधिकारियों की खुली मिलीभगत से करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया। कागज़ों में पानी बहाया गया, लेकिन ज़मीनी हकीकत सूखी रह गई। गाँव की जनता पुछ रही है PHE विभाग के अधिकारीयों और इंजीनियर, जवाब दो आपने बिना काम देखे ठेकदार को भुगतान कैसे कर दिया..? क्या आप सब कमीशन का टेंडर लेकर बैठे हो..?
पानी की टंकी घोटाले में विभाग की चुप्पी अब शक नहीं, सीधी भागीदारी साबित हो रही है है कि आपने गांव वालों को पानी देने में कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई है ।
क्या “हर घर जल” सिर्फ स्लोगन बनकर रह गया है ?