कोरोना काल में अहम बन चुके इंजेक्शन रेमडेसिवीर की किल्लत के पीछे इसकी शार्ट एक्सपायरी भी बढ़ा कारण बन रही है। रेमडेसिवीर इंजेक्शन के उपयोग की अवधि सिर्फ 11 माह होती है। किसी दवा के उत्पादन से वितरण और उपयोग तक के लिहाज से यह अवधि काफी कम है। एक्सपोर्ट माल वापसी से होने वाले घाटे की चिंता में कंपनियां इंजेक्शन का उत्पादन सीमित मात्रा में करती है। सरकार यदि कंपनियों को खरीद के आर्डर दे तो आपूर्ति की तादात बढ़ सकती है। इस बीच अब शहर की दवा दुकानों पर अब कोरोना के उपचार में काम आ रही दवा फैबिफ्लू (फेबिपिराविन) गायब होने लगी है। गुरुवार को ज्यादातर दुकानों पर दवा उपलब्ध नहीं थी।
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बुधवार-गुरुवार को शहर की ज्यादातर दवा दुकानों पर फैबी फ्लू टैबलेट उपलब्ध नहीं थी। काफी तलाशने के बाद किसी दुकान पर यह टेबलेट मिल पा रही थी। रिटेलर्स के मुताबिक थोक दवा कारोबारी मांग के मुकाबले आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। जबकि लोगों ने बीमारी के डर से इस दवा को खरीदकर घर में स्टाक करना शुरू कर दिया है। रिटेल दवा विक्रेता शिकायत कर रहे हैं कि थोक कारोबारी ज्यादा मुनाफे के लालच में इस गोली की सप्लाय रोककर शार्टेज पैदा कर रहे हैं। दुकानदार भी शिकायत कर रहे हैैं कि फैबी फ्लू की किल्लत पर अब तक जिम्मेदार सरकारी विभाग जागे नहीं है। शासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है |
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