राज्य सरकार ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन के इस्तेमाल को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में बुधवार देर शाम स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है, रेमडेसिवीर इंजेक्शन कोरोना के गंभीर मरीजों को ही लगाया जाएगा। इसके लिए 3 अप्रैल 2020 को जारी अपडेटेड क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल फॉर कोविड-19 का सख्ती से पालन किया जाए।
दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शिकायतें मिल रही थी कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है। दवा दुकानों में इसके मनमाने रुपए वसूले जा रहे हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने बुधवार सुबह कहा था कि इस इंजेक्शन के इस्तेमाल को लेकर निर्देश जारी किए जाएंगे।
राज्य शासन ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजे आदेश में कहा है, रेमडेसिवीर इंजेक्शन के इस्तेमाल के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा जारी की गई शर्तों का पालन कराया जाए। जिन मरीज को यह इंजेक्शन किन आपात स्थिति में दिया गया है, इसका रिकॉर्ड अस्पताल को रखना अनिवार्य है। रिकॉर्ड में आपात स्थिति का विवरण भी देना होगा। इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUA) के तहत आपात स्थिति को छोड़कर यदि रेमडेसिविर का उपयोग किया गया, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित अस्पताल और डॉक्टर की होगी। यही नहीं, इसके लिए फार्मासिस्ट भी जिम्मेदार होगा।
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बता दें, रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सरकारी स्तर पर खरीद की जाएगी, ताकि मध्यमवर्गीय व गरीब को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा सके। इंदौर समेत कई जिलों में इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण बुधवार को हाहाकार की स्थिति बनी रही। अब सरकार ने इसे लेकर एसओपी जारी की है।
जानकारी के मुताबिक अक्टूबर से फरवरी तक में केस घटने पर कंपनियों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रोडक्शन घटा दिया था, लेकिन मार्च माह में कोरोना संक्रमण का ग्राफ भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में तेजी से बढ़ा है। ऐसे में डिमांड बढ़ने के कारण अब कंपनियां 24 घंटे प्रोडक्शन के बावजूद डिमांड पूरी नहीं कर पा रही।
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