नाली सफाई के नाम पर हज़ारों की हेराफेरी — सरपंच-सचिव की मिलीभगत से लूटी जा रही सरकारी राशि?

अरविंद सिंह लोधी
By
Arvind Singh Lodhi
Damoh madhya Pradesh
3 Min Read

अरविन्द सिंह लोधी

जबेरा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत परासई में लंबे समय से लगातार भ्रष्टाचार और लापरवाही का सिलसिला जारी है। पंचायत के सरपंच और सचिव की मिलीभगत से सरकारी योजनाओं की राशि का दुरुपयोग खुलेआम किया जा रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, लगभग दो माह पूर्व ग्राम पंचायत परासई में 15,100 की राशि दीपक नेमा के नाम पर नाली साफ-सफाई कार्य के लिए स्वीकृत की गई थी। बताया गया कि यह राशि ग्राम महुआघाट की नाली की सफाई के नाम पर निकाली गई, किंतु दो महीने बीत जाने के बाद भी आज तक ग्राम में किसी भी प्रकार की नाली की सफाई नहीं की गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि उक्त नाली पिछले कई वर्षों से गंदगी और बदबू का अड्डा बनी हुई है। बरसात के दिनों में पानी जमने से बीमारियां फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। आस-पास रहने वाले परिवार मच्छरों और दुर्गंध से परेशान हैं, लेकिन पंचायत अधिकारी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

इतना ही नहीं, ग्राम पंचायत परासई में इस तरह के कई और भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। विकास कार्यों के नाम पर कई बार राशि निकाली गई, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच और सचिव महीनों से विकास निधि की रकम डकार कर बैठे हैं, और जनपद पंचायत के अधिकारी इन सब पर चुप्पी साधे हुए हैं।

ग्रामवासियों ने बताया कि उन्होंने इन मामलों की शिकायत कई बार जनपद पंचायत जबेरा के सीईओ और एसडीओ से की, लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की जांच या कार्रवाई नहीं की गई। इससे यह साफ जाहिर होता है कि पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी और उच्च स्तरीय अमला मिलीभगत से इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे हैं।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सवाल यह उठता है कि आखिर इतने स्पष्ट सबूतों और शिकायतों के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? क्या सरपंच और सचिव से रिश्वत लेकर अधिकारी चुप बैठे हैं? अगर ऐसा है तो यह पूरी जनपद पंचायत व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।

“हम कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे,”

ग्रामीणों ने कहा

ग्रामीणों की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि ग्राम पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके और विकास कार्य वास्तविक रूप से धरातल पर दिखाई दें।

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