दूध या उससे बने प्रोडक्ट हमारी डेली डाइट का एक अहम हिस्सा है. आज मार्किट में अलग अलग तरह के दूध और उससे बने प्रोडक्ट उपलब्ध हैं. जैसे लो फैट प्रोडक्ट, टोंड मिल्क प्रोड्क्ट या हाई फैट मिल्क प्रोडक्ट. बाजार में ये सारी उपलब्धता वर्तमान लाइफस्टाइल के कारण पैदा हुई बीमारियों के चलते आई है. अब लोग उम्र के हिसाब दूध या उससे बनीं चीजें खाने में लेते हैं. क्योंकि आजकल के लाइफस्टाइल में फिजिकल एक्टिविटी कम हो रही है, तो ऐसे में जल्दी ही शरीर में हार्ट रोग, डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियां घर कर लेती हैं. इसी कारण डॉक्टर फैट वाली चीजें कम लेने की सलाह देते हैं.
कम फैट वाले दूध इस्तेमाल करने वालों में खतरा ज्यादा
अब एक स्टडी में पता चला है कि ज्यादा फैट वाले मिल्क प्रोड्क्ट लेने से हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो लोग कम फैट वाले मिल्क प्रोडक्ट का सेवन करते हैं, उनमें ज्यादा फैट वाले मिल्क प्रोडक्ट का प्रयोग करने वालों की तुलना में हार्ट रोग का खतरा ज्यादा मिला है.
यह स्टडी जर्नल पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित हुई है. स्टडी करने वालों का मानना है कि अधिक फैट वाले मिल्क प्रोडक्ट का उपभोग करने से हार्ट डिजीज के कारण होने वाली मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है. रिसर्चर्स ने परिणामों तक पहुंचने के लिए स्वीडन में 4000 वयस्कों में डेरी उत्पादों के उपभोग का अध्ययन किया. इसी तरह का अध्ययन 17 अन्य देशों में भी किया गया.
दूध से बने उत्पादों का उपयोग न करना अच्छा विकल्प नहीं
द जार्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के डॉ. मेटी मार्कड ने बताया कि जिस तरह से डेयरी प्रोडक्ट का यूज दुनिया में बढ़ रहा है, उस स्थिति में यह समझना जरूरी है कि उसका हमारे शरीर पर किस तरह से प्रभाव पड़ता है. उन्होंने आगे कहा कि हमने डेयरी प्रोडक्ट के फैट की खून में मात्रा और उसके प्रभाव का अध्ययन किया है. इसमें पाया गया कि जो लोग अधिक फैट वाले मिल्क प्रोडक्ट का सेवन कर रहे हैं, उनमें हार्ट से जुड़ी बीमारियों के खतरे कम मिले. वहीं जो कम फैट वाले मिल्क प्रोडक्ट ले रहे थे, उनमें तुलनात्मक रूप से ऐसे ज्यादा खतरे देखे गए.
स्टडी करने वाली टीम के डॉ. कैथी ट्रीउ ने बताया कि मिल्क प्रोडक्ट के फैट को कम करना या दूध से बने उत्पादों का उपभोग न करना हार्ट को हेल्दी रखने का अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है.