Health News – कोरोना से संक्रमित हुए बच्चे क्यों हो रहे हैं डायबिटीज से ग्रस्त, जानें 

sadbhawnapaati
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Health News. डायबिटीज की बीमारी अब सिर्फ बड़ों को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी होने लगी है. खासकर, कोरोना महामारी में बच्चों में भी डायबिटीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.
शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि कोरोना होने के बाद बच्चों होने की संभावना बढ़ गई है. कोविड-19 से संक्रमित होने वाले बच्चों में डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के शोधकर्ताओं के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो कोरोना से उबर चुके हैं, उनमें टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि कोरोना होने के बाद बच्चों में डायबिटीज के नए मामलों में 2.6 गुना वृद्धि हुई है.

बच्चों में डायबिटीज बढ़ाने वाले कारक

डॉक्टरों के अनुसार, महामारी के दौरान, 13-15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में डायबिटीज की बढ़ती घटनाओं को देखा गया. कोरोना से संक्रमित हो चुके बच्चों में यदि अधिक प्यास लगना, बिस्तर गीला करना, अचानक वजन कम होना जैसे लक्षण नजर आएं, तो उन्हें डॉक्टर से जरूर दिखाना चाहिए.

कोरोना के दौरान बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में आई कमी, बेतरतीब जीवनशैली के कारण भी डायबिटीज होने का रिस्क बढ़ सकता है.

कोरोना काल में बच्चों में बढ़ रहा मोटापा, रिसर्च में किया गया दावा

महामारी की शुरुआत होने के साथ ही अधिकतर बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ा है, जो एक लाइफस्टाइल से संबंधित रोग है. स्ट्रेस, डिप्रेशन, जीवनशैली में बदलाव इस बीमारी को बढ़ाने की मुख्य वजहें हैं.

रात दिन गैजेट्स का इस्तेमाल, घर में बैठे रहना, ऑनलाइन क्लासेस करना बच्चों की सेहत को पिछले दो सालों में बुरी तरह से प्रभावित किया है.

उनमें अनहेल्दी ईटिंग हैबिट्स, खराब स्लीप पैटर्न, अटेंशन डेफिसिट भी डायबिटीज के मुख्क कारक हो सकते हैं. फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर होने से बच्चों में मोटापा भी बढ़ा है, जो डायबिटीज होने के जोखिम को बढ़ाता है.

बच्चों को डायबिटीज से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय

  • बच्चों को नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल कराएं.
  • स्क्रीन समय कम करें. मोबाइल, लैपटॉप, टीवी पर कम समय बिताने दें.
  • संतुलित आहार दें और पर्याप्त पानी पिलाएं.
  • जंक फूड के सेवन से बचाएं.
  • हर रात 8 से 9 घंटे की नींद सुनिश्चित करें.
  • बच्चों का वजन न बढ़ने दें.
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