वैसे तो हिंदू नव वर्ष प्राचीन काल से चलता आ रहा है. लेकिन, ऐसा कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के काल में भारतीय वैज्ञानिकों ने हिंदू पंचांग के आधार पर भारतीय कैलेंडर बनाई थी.
इस कैलेंडर की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से मानी जाती है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है. संवत्सर के पांच प्रकार यानी कि सौर, चंद्र, नक्षत्र ,सावन अधिमास है. वहीं विक्रम संवत में इन सभी का समावेश है.
विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई. इसको शुरू करने वाले सम्राट विक्रमादित्य थे इसलिए उनके नाम पर ही इस संवत का नाम है.
इस विक्रम संवत को पूर्व में भारतीय संवत का कैलेंडर भी कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे हिंदू संवत का कैलेंडर के रूप में प्रचारित किया गया.
2 अप्रैल 2022 से शुरू होने वाले नए साल का राजा शनि ग्रह होता है. इस साल का मंत्री गुरु है. शनि की मकर राशि में मंगल के सात युति तथा रेवती नक्षत्र में नए वर्ष का प्रारंभ शनि के आपस में ताल-मेल के अभाव के कारण इस वर्ष किसी राष्ट्र के बड़े नेता या शासन अध्यक्ष के सामने बड़ी दिक्कत आएगी.
नए साल में वर्षा सामान्य होगी. इसी वजह से फसल भी अच्छी नहीं होगी. इस साल 2079 के प्रभाव इस प्रकार हैं.
सकारात्मक प्रभाव
भारत जैसे देशों में बिजनेस ज्यादा बढ़ेगा.
विश्व के मानचित्र पर भारत की नीतियों की प्रशंसा होगी.
भारत का दूसरे देशों से अनेक व्यापारी समझौता होने के योग बन रहे हैं.
नकारात्मक प्रभाव
वर्ष के दौरान खड़ी फसल या पक्की फसल में नुकसान है या हानि होने के योग बनेंगे.
देश या दुनिया में महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. जिसका असर आम जनता या लोगों पर बहुत ज्यादा पड़ेगा.
देश के उत्तरी दक्षिणी भाग में फसल अच्छी होगी जबकि पश्चिम पूर्व भाग में अकाल होने की संभावनाएं बनी रहेंगी.