एमपी की विधानसभा (MP Assembly) में अक्सर सुनाई देने वाले असंसदीय शब्दों को विलोपित कर दिया जाता है.कई बार बहस के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर नोकझोंक होती है और माननीय विधायक (MLA) सदन की गरिमा और मर्यादा भूलकर एक दूसरे के लिए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं. हालांकि बाद में ऐसे अपशब्दों को सदन की कार्यवाही से विलोपित कर दिया जाता है.लेकिन अब विधान सभा सचिवालय अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की तैयारी में है. इसके लिए एक डॉक्यूमेंट तैयार किया जाएगा और विधायकों को बताया जाएगा कि सदन की कार्यवाही के दौरान माननीय कौन से शब्दों का इस्तेमाल ना करें.
विधानसभा सचिवालय में संविधान आर्टिकल के तहत इस बात की जानकारी है कि विधायकों को विधानसभा में इस तरह की आजादी नहीं है की कार्रवाई के दौरान अनुशासन तोड़ किसी भी तरह के असंसदीय शब्दों और जुमलो का इस्तेमाल करें. बहस में अपमानजनक असंसदीय, असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल न करने की हिदायत होती है.बावजूद इसके सदस्य गंदे शब्द इस्तेमाल करने में एक दूसरे से आगे बढ़ते दिखाई देते हैं.बाद में इन असंसदीय शब्दों को सदन की कार्यवाही से विलोपित करना पड़ता है.अब विधायकों को बताया जाएगा कि ऐसे कौन से शब्द हैं जिनका इस्तेमाल सदन में चर्चा के दौरान नहीं किया जाए.
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पहले से तय शब्दों के अलावा नए शब्द और जुमलों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए विधानसभा सचिवालय नया डॉक्यूमेंट तैयार करेगा.लोकसभा में जिन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है, उसी तरह मध्यप्रदेश विधानसभा में भी असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाएगी.
सीनियर नेता पढ़ाएंगे पाठ
विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम ने कहा विधानसभा में पहली बार चुनकर आए विधायकों को 15 मार्च को बोलने का मौका दिया जाएगा.15 मार्च के दिन नये विधायकों को आसंदी का पूरा संरक्षण देकर उन्हें सवाल पूछने का मौका दिया जाएगा. विधायक पूरक सवाल भी कर सकेंगे.
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